आसाराम बापू की याचिका पर गुजरात सरकार को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस
उच्चतम न्यायालय ने यौन उत्पीडऩ मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे 86 वर्षीय स्वयंभू बाबा आसाराम बापू की मेडिकल आधार पर जमानत की मांग वाली याचिका पर शुक्रवार को गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया और तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए कहा कि चूंकि यह पोक्सो का मामला है, इसलिए यह अदालत मेडिकल आधार पर जमानत की इस याचिका पर विचार करेगी।
पीठ के समक्ष याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दामा शेषाद्रि नायडू ने दलील दी कि वह (आसाराम) ब्लॉकेज सहित कई बीमारियों से पीडि़त हैं। इस मामले में आसाराम ने सजा के निलंबन और जमानत की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने अपनी याचिका में दावा किया है कि वह मीडिया ट्रायल और अपने आश्रम पर नियंत्रण हासिल करने के उद्देश्य से की जा रही साजिशों के शिकार हैं। उन्होंने अधिवक्ता राजेश इनामदार और शाश्वत आनंद के माध्यम से दायर अपनी याचिका में आरोप लगाया कि उनकी सजा विसंगतियों से भरी हुई है। वह केवल शिकायतकर्ता की अपुष्ट गवाही पर आधारित है।
याचिका में कहा गया है कि आरोपों के पक्ष में कोई चिकित्सीय या स्वतंत्र सबूत नहीं है। उन्होंने दावा किया कि उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने और उन्हें उनके आश्रम से बाहर निकालने के लिए झूठा फंसाया गया है। याचिका में कई दिल के दौरे और गंभीर बीमारी सहित गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का हवाला देते हुए आसाराम ने तर्क दिया कि उनका लगातार कारावास संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 के तहत उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। याचिका में यह भी दावा किया गया है