कसौली में अरबों की बेनाम संपत्ति की मालिक बनेगी प्रदेश सरकार
जौल-खड़ोली-शाकड़ी में कुछ लोगों ने फ्लैट बनाने के नाम पर खरीदी थी करोड़ों की जमीन
सोलन जिला के कसौली क्षेत्र में अरबों रुपए की कीमत की बेनामी संपत्ति के मामले में डिवीजनल कमिश्नर की अदालत ने उपायुक्त सोलन द्वारा दिए गए फैसले को यथावत रखा है। करीब 200 करोड़ की बेनामी संपत्ति अब सरकार के अधीन की जाएगी। सोलन उपायुक्त की अदालत ने केस संख्या 4/13 (2016) में हिमाचल प्रदेश सरकार तथा दाता राम व अन्य के बीच यह फैसला सुनाया था। तत्कालीन उपायुक्त सोलन कृतिका कुल्हारी की अदालत ने इस मामले की सिलसिलेवार सुनवाई करते हुए हिमाचल प्रदेश लैंड टेनेंसी एंड रिफार्म एक्ट-1972 की धारा-118 के तहत कसौली क्षेत्री की दर्जनों बीघा भूमि व उस पर निर्मित फ्लैट्स को बेनामी संपत्ति घोषित करके उसे सरकार के आधिपत्य में करने के आदेश दिए थे। गौर रहे कि यह मामला वर्ष 2014 में प्रकाश में आया था जब शिकायतकर्ता संतोष कुमार ने पुलिस को बताया कि पर्यटन नगरी कसौली के मौजा जौल, खड़ोली और शाकड़ी में कुछ लोगों ने फ्लैट बनाने के नाम पर भूमि खरीदी है और इसमें अज्ञात लोगों ने करोड़ों रुपए लगाया है, जो कि जांच के बाद बेनामी संपत्ति के दायरे में आ सकता है। शिकायत के बाद तत्कालीन एसपी ने जांच का जिम्मा एसआईटी को सौंपा और एसआईटी की जांच में कई तथ्य हैरान कर देने वाले सामने आए।
मामले में चार मुख्य आरोपी बनाए गए, जिनमें मिस्त्री का कार्य करने वाला छट्याण गांव का निवासी दाता राम और दीपक बरमानी व श्रुति बरमानी सहित दिल्ली की माउंटेंस एंड पाइंस लिमिटेड कंपनी थी। जांच में पाया गया कि बाहरी राज्यों के लोगों ने दाता राम के बैंक खाते में करोड़ों रुपए ट्रांसफर किए हैं