सरकार की नई होम स्टे पॉलिसी पूर्णतया तानाशाही और तुगलकी फैसला
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि एक तरफ़ सरकार प्रदेश के लोगों को रोज़गार नहीं दे रही है, स्वरोजगार के लिए उत्साहित नहीं कर रही है। दूसरी तरफ़ प्रदेश के लोग जो ख़ुद से कुछ करना चाह रहे हैं ,उन्हें भी नहीं करने दे रही है। होम स्टे की जो नई पॉलिसी सरकार द्वारा लाई जा रही है, वह पूर्णतया तुगलकी और तानाशाही है। सरकार ऐसी नीति लाने के पहले एक बार भी उसकी व्यवहारिकता के बारे में नहीं सोच रही है। क्या सरकार की प्रदेश के लोगों के लिए भी कोई जिम्मेदारी है? या सिर्फ प्रदेश के लोग अपनी गाढ़ी कमाई से इस व्यवस्था परिवर्तन वाली सुख की सरकार के मित्रों को पालने के लिए अभिशप्त हैं।
होम स्टे महिलाओं की आजीविका का आधार
प्रदेश के दूर दराज के इलाकों में जो होम स्टे प्रदेश की माताओं बहनों के आजीविका और आत्मसम्मान का आधार है, नई होम स्टे पॉलिसी लाकर सरकार उन्हें कुचलना चाहती है। प्रदेश में मुखिया और सुख की सरकार के कर्ता धर्ता से मेरा आग्रह है कि अगर आप प्रदेशवासियों के लिए कुछ नहीं कर सकते तो कम से कम जो लोग ख़ुद से कुछ कर रहे हैं, उन्हें करने दे और उन्हें स्वाभिमान से जीने दे। एक तरफ़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश भर की महिलाओं को लखपति दीदी बनाने के लक्ष्य के लिए काम कर रहे हैं, तो दूसरी तरह हमारे मुख्यमंत्री प्रदेश की दीदियों से ही लखपति बनने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं। सरकार पहले ही स्वावलंबन योजना को बंद कर चुकी है और कौशल विकास के तहत दिए जाने वाले व्यवसायिक प्रशिक्षण को भी छह महीनें से बंद कर रखा है।
सरकार प्रदेश की ग्रामीण आजीविका का आधार बन रहे होम स्टे से जो फ़ीस रजिस्ट्रेशन के नाम पर लेना चाहती है, कई बार होम स्टे साल भर में उतना कमा भी नहीं पाते।