नगरोटा जूस फैक्टरी को नहीं मिल रही फूटी कौड़ी
नजर-ए-इनायत को तरसा फल विधायन केंद्र
कई सरकारें आईं और गईं; 27 करोड़ रुपए की योजना अधर में, किसानों का भुगतान लटका
वर्ष 1974 में हिमाचल निर्माता डा. वाईएस परमार द्वारा स्थापित नगरोटा बगवां फल विधायन केंद्र आज भी अपने वजूद की लड़ाई लड़ रहा है। वर्षों से सरकार की उदासीनता झेल रहे ओर नजर-ए-इनायत को तरसते केंद्र की दुर्दशा देखने विभाग के निदेशक ,सचिव, विधायक, मंत्री तथा मुख्यमंत्री भी समय-समय पर यहां आए और केंद्र की दयनीय स्थिति को स्वीकारते हुए जीर्णोंद्धार का भरोसा दे गए, लेकिन इसके बावजूद जीर्ण शीर्ण दशा को भी पार कर चुके केंद्र में आज तक एक ईंट भी नहीं सरकी। नौबत यहां तक आ गई है कि बाकायदा बजट होते हुए भी खर्च की अनुमति न होने से लाखों की देनदारी अटक गई है, जिसके चलते बागबानों को भी बेचे गए उत्पादों की कीमत नहीं मिल पा रही। बागबानी मंत्री रहीं विद्या स्टोक्स के बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर तथा तत्कालीन बागबानी मंत्री महेंद्र सिंह, कैबिनेट मंत्री जगत सिंह नेगी के अतिरिक्त विभाग के सचिव व निदेशक भी केंद्र का दौरा चुके हैं, लेकिन केंद्र के जीर्ण शीर्ण हो चुके ढांचे तथा बाबा आदम के समय से स्थापित मशीनरी को बदल कर आधुनिक तकनीक की स्थापना का सपना आज भी बरकरार है। पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के दौरे के दौरान हरकत में दिखी सरकार के चलते लोगों में एक उम्मीद जगी थी तथा सरकार ने स्वयं विभाग को इसे पुनर्जीवित करने हेतु एक बृहद रिपोर्ट तैयार करने और इसके जीर्णोंद्धार हेतु हर सहयोग देने का ऐलान किया था।
सरकार के निर्देशों के मुताबिक विभाग ने फरवरी 2021 में तैयार अपनी रिपोर्ट में करीब 27 करोड़ की आवश्यकता दर्शाई थी, जिसका आज तक कोई प्रावधान न होने की वजह से केंद्र की निगाहें सरकार की ओर