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परमात्मा जानने योग्य है, इसे जानकर जब हम इसे अपने जीवन का आधार में बना लेते हैं तब सहज रूप में हमारे जीवन में मानवीय गुणों का विस्तार होता चला जाता है

‘परमात्मा जानने योग्य है, इसे जानकर जब हम इसे अपने जीवन का आधार में बना लेते हैं तब सहज रूप में हमारे जीवन में मानवीय गुणों का विस्तार होता चला जाता है।’’ उपरोक्त उद्गार सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज द्वारा 77वें वार्षिक निरंकारी सन्त समागम के प्रथम दिवस पर मानव हित में संबोधित किए गये। इस तीन-दिवसीय संत समागम में केवल भारतवर्ष से ही नहीं अपितु विश्वभर के अनेक स्थानों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु भक्त सम्मिलित होकर समागम का भरपूर आनंद प्राप्त कर रहे हैं।

सतगुरु माता जी ने विशाल सत्संग के रूप में एकत्रित सभी संतो को सम्बोधित करते हुए फरमाया कि वास्तविक रूप में ‘असीम की ओर-विस्तार‘, यह एक अंदर से बाहर की दिव्य यात्रा है। अक्सर मनों में तनाव तथा दिल और दिमाग के तालमेल की बात आती है। वास्तव में मन और मस्तिष्क दोनों ही साथ है परन्तु कभी मन कुछ ओर चाहता है और मस्तिष्क कुछ और सोचता है। लेकिन जब हम इस परमात्मा संग जुड़ जाते हैं तब मन में स्थिरता आ जाती है और अपनत्व का भाव उत्पन्न हो जाता है फिर मन विशाल बन जाता है।

अंत में सतगुरु माता जी ने अपने प्रवचनों में कहा कि युगों-युगों से संतों, पीरों ने यही सन्देश दिया कि हमें अपनी आध्यात्मिक यात्रा करते हुए मानवता के काम ही आना है। परमात्मा द्वारा प्रदान की हुई चीजें एवं इन्सानों ने भी जो आविष्कार किए हैं, उनका सदुपयोग करते हुए इस धरा को ओर अधिक सुंदर बनाना है।

इससे पूर्व समागम स्थल पर आगमन होते ही सतगुरु माता जी व निरंकारी राजपिता जी का सन्त निरंकारी मण्डल की कार्यकारिणी समिति के सदस्यों व अन्य अधिकारियों ने फूल मालाओं एवं पुष्प गुच्छ से स्वागत किया। तदोपरांत मंच तक उनका स्वागत एक भव्य शोभा यात्रा के रूप में किया गया। इस शोभा यात्रा में निरंकारी इंस्टिटुयट ऑफ मयूजिक एण्ड आर्टस के 300 से भी अधिक छात्रों ने नृत्य एवं संगीत के माध्यम द्वारा दिव्य युगल का अभिनन्दन किया।

फूलों से सुसज्जित खुली पालकी में दिव्य युगल विराजमान होकर श्रद्धालु भक्तों को अपना पावन आशीर्वाद प्रदान कर रहे थे और वहाँ उपस्थित सभी श्रद्धालु भक्त आनंदित होकर अपनी नम आंखों से, हाथ जोड़ते हुए उनका स्वागत भक्तिभाव से कर रहे थे। दिव्यता का यह अनुपम नज़ारा मिलवर्तन की सुंदर भावना को वास्तविक रूप में साकार कर रहा था जिसमें हर भक्त अपनी जाति, धर्म, भाषा को भुलाकर केवल प्रेमाभक्ति में सराबोर था।

निरंकारी प्रदर्शनीः-

इस वर्ष का समागम शीर्षक ’विस्तार-असीम की ओर’ है, जिस पर आधारित निरंकारी प्रदर्शनी सभी संतों के लिए मुख्य आर्कषण का केन्द्र बनी हुई है। इस दिव्य प्रदर्शनी को मूलतः तीन भागों में विभाजित किया गया है जिसके प्रथम भाग में भक्तों को मिशन के इतिहास, विचारधारा एवं सामयिक गतिविधियों के अतिरिक्त सतगुरु द्वारा देश व विदेशों में की गई दिव्य कल्याणकारी प्रचार यात्राओ की पर्याप्त जानकारी प्राप्त होगी। द्वितीय भाग में संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन द्वारा स्वास्थ्य एवं समाज कल्याण विभाग के सभी उपक्रमों व गतिविधियों को दर्शाया जा रहा है। तृतीय भाग के अंतर्गत बाल प्रदर्शनी को बड़े ही मनमोहक व प्रेरणादायक रूप में बाल संतों द्वारा प्रदर्शित किया गया है।

निरंकारी संत समागम पर भक्ति और भाईचारे की भावना से सराबोर अन्य पहलु आपके साथ आने वाले दिनों में सांझा किए जायेंगे।

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