प्रदेश में 20 फीसदी रह गया बिजली उत्पादन
बाहरी राज्यों से ज्यादा ऊर्जा का करना पड़ रहा प्रबंध; कई ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं मिल रही पर्याप्त बिजली, कट लगाने की नौबत
राज्य में बिजली का उत्पादन और कम हो गया है। परियोजनाओं में उत्पादन गिरकर मात्र 20 फीसदी रह गया है, जिसके साथ राज्य बिजली बोर्ड को बाहर से ज्यादा प्रबंध करना पड़ रहा है। इसकी वजह से प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में कई स्थानों पर पर्याप्त बिजली नहीं दी जा रही है। वहां पर कट लगाने की नौबत आ गई है। हालांकि बोर्ड अपनी ओर से प्रयास कर रहा है और ग्रिड से ज्यादा बिजली की खरीद कर रहा, मगर स्थिति ऐसी ही रहती है, तो इस महीने के अंत तक बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा। अभी मौसम विभाग ने पूर्वानुमान दिया है, जिससे उम्मीद है कि दो-तीन दिनों तक बारिश हो जाए, तो जल स्तर में कुछ बढ़ोतरी हो, मगर ऐसा नहीं हुआ, तो दिक्कत बढ़ जाएगी। हिमाचल के पास पिछले सप्ताह में 175 लाख यूनिट रोजाना बिजली उपलब्ध थी, लेकिन अब इसमें 10 लाख यूनिट की कमी आंकी जा रही है। प्रदेश की बिजली जरूरत की बात करें, तो यह बढ़ चुकी है, जो 390 लाख यूनिट तक है। यानि काफी ज्यादा मात्रा में प्रदेश के पास बिजली की कमी हो चुकी है। सर्दियों में नदियों का जलस्तर गिरने की वजह से सभी परियोजनाएं अपनी पूरी क्षमता के साथ उत्पादन नहीं कर पा रही हैं, जिनमें दिन प्रतिदिन उत्पादन कम हो रहा है।
दूसरे राज्यों से ग्रिड के माध्यम से बिजली की खरीद का सिलसिला चल रहा है, जिसमें खरीद की मात्रा को बढ़ाना पड़ा है। हिमाचल प्रदेश रोजाना अपनी बिजली की जरूरत को पूरा करने के लिए इस समय लगभग 100 लाख यूनिट बिजली खरीद रहा था जिसे बढ़ाकर 115 लाख यूनिट तक करना पड़ गया है। मार्केट से महंगे दामों पर यह बिजली खरीदनी पड़ती है। हर साल बोर्ड द्वारा करीब 700 करोड़ रुपए से ज्यादा की