शिमला ठियोग पानी घोटाले में गाडिय़ों के मालिकों-ड्राइवरों से पूछताछ
ठियोग पहुंची वजिलेंस की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन यूनिट ने शुरू की फिजिकल वेरिफिकेशन
पानी की ढुलाई में लगे सभी वाहनों की जांच कब्जे में लिया फिल्ड रिकार्ड
ठियोग पानी घोटाले में विजिलेंस की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन यूनिट ने गुरुवार को ठियोग पहुंचकर फिजिकल वेरिफिकेशन शुरू कर दी है। एएसपी नरवीर राठौर की अगवाई में ठियोग पहुंची टीम ने पानी ढुलाई में इस्तेमाल सभी टैंकर व पिकअप के मालिक और ड्राइवरों सहित लगभग 40 लोगों से पूछताछ की गई। वहीं, सभी वाहनों की जांच की गई, जिसमें देखा गया कि किस वाहन की पानी ढुलाई की कितनी क्षमता है। ड्राइवर से पूछा गया कि किस दिन कितने चक्कर पानी के लगाए और किस किस गांव में सप्लाई की गई। इस दौरान जल शक्ति विभाग के फील्ड स्टाफ से भी पूछताछ की गई। खासकर जिन कर्मियों ने मई व जून माह में पेयजल सप्लाई के दौरान फील्ड में रिकार्ड मंटेन किया था। उस कब्जे को भी विजिलेंस टीम ने कब्जे में लिया है। एएसपी नरवीर सिंह राठौर ने बताया कि जो आरोप शिकायत में लगाए गए थे, उन की जांच जारी है।
एफआईआर दर्ज करेगी विजिलेंस
विजिलेंस एसआईयू फिजिकल वेरिफिकेशन करके इन वाहनों का डिजिटल डाटा जुटा रही है, ताकि कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करते वक्त पुख्ता साक्ष्य पेश किए जा सके। साक्ष्य जुटाने के बाद विजिलेंस इस मामले में एफआईआर करेगी। इससे पहले बीते बुधवार को विजिलेंस की टीम ने मुख्यालय में तीन एसडीओ, पांच जेई और तीन ठेकेदारों से 7:30 घंटे लंबी पूछताछ की।
10 लाख से 1.13 करोड़ पहुंचा खर्च
हर साल ठियोग में पानी की सप्लाई के लिए 10 से12 लाख रुपए खर्च होते थे, लेकिन 2024 में यह आंकड़ा अचानक एक करोड़ के पार पहुंच गया। कई ऐसे वाहन नंबर भी दिखाए गए, जो अस्तित्व में ही नहीं हैं।