शौचालय शुल्क पर राजधानी में गरमाई सियासत, भाजपा और माकपा नेताओं ने उठाए सवाल
शिमला शहर के 30 बड़े सार्वजनिक शौचालयों में शुल्क वसूली शुरू करने के नगर निगम सदन के फैसले पर माकपा ने कांग्रेस शासित नगर निगम को आड़े हाथों लिया। वहीं भाजपा ने भी इस फैसले पर सवाल उठा दिए हैं।
शहर के 30 बड़े सार्वजनिक शौचालयों में शुल्क वसूली शुरू करने के नगर निगम सदन के फैसले के चंद घंटे बाद ही सोमवार को राजधानी की सियासत गरमा गई। सुबह 11:30 बजे सदन में यह फैसला लिया गया। दोपहर बाद शहर में इस पर चर्चा गरमा गई। माकपा ने इस फैसले पर कांग्रेस शासित नगर निगम को आड़े हाथों लिया। वहीं भाजपा ने भी इस फैसले पर सवाल उठा दिए हैं। भाजपा नेताओं ने कहा कि पहले प्रदेश सरकार भी टॉयलेट टैक्स लगाकर जनता पर बोझ डालने जा रही थी। इसे विरोध के बाद रोका गया तो अब नगर निगम ने यह फैसला ले लिया।
उधर शहर के कारोबारी संगठन भी इस पर विरोध में उतरने लगे हैं। कारोबारियों का कहना है कि उनसे इस फैसले को लेकर कोई चर्चा नहीं की गई। शिमला व्यापार मंडल के उपाध्यक्ष अजय सरना ने कहा कि कुछ महीने पहले निगम प्रशासन ने इस बारे में व्यापार मंडल के साथ बैठक बुलाई थी। इसमें सिर्फ रिज और मालरोड के एक दो शौचालय में यह व्यवस्था लागू करने की बात हुई थी। लेकिन अब निगम कह रहा है कि बाजारों के शौचालयों में भी इसे लागू करेंगे। कहा कि यह गलत है। व्यापार मंडल ने भी इस पर कोई सहमति नहीं दी है। इस पर व्यापार मंडल का विरोध रहेगा। निगम को यह फैसला वापस लेना होगा।
शुल्क वसूला तो शहर में होगा आंदोलन : संजय
नगर निगम शहर की जनता से टैक्स लेता है। हर बिल पर सीवरेज सैस वसूलता है।