संस्कृत भाषा का अपमान सहन नहीं, डीएमके नेता दयानिधि के बयान पर संस्कृत शिक्षक परिषद में रोष
डीएमके नेता दयानिधि के बयान पर संस्कृत शिक्षक परिषद में रोष
हिमाचल राजकीय संस्कृत शिक्षक परिषद द्वारा संसद में डीएमके नेता दयानिधि मारन द्वारा संस्कृत भाषा के विरुद्ध दिए गए घिनौने और अपमानजनक बयान की कड़ी निंदा की है। हिमाचल राजकीय संस्कृत शिक्षक परिषद के प्रदेशाध्यक्ष डा. मनोज शैल, प्रदेश महासचिव डा. अमित शर्मा, वित्त सचिव सोहनलाल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष डा. सुशील शर्मा, उपाध्यक्ष डा. जंगछुब नेगी, रजनीश कुमार, राकेश कुमार, शांता कुमार, महिला संयोजिका अर्चना शर्मा, हमीरपुर के अध्यक्ष नरेश मलोटिया, सोलन के डा. कमलकांत गौतम, कांगड़ा के डा. अमनदीप शर्मा, ऊना के बलवीर चंद, मंडी के लोकपाल, सिरमौर के अध्यक्ष वेद पराशर, शिमला के अध्यक्ष संजय शर्मा, बिलासपुर के राजेंद्र शर्मा, कुल्लू के हेमलाल, चंबा के अमर सेन, लाहुल के सुरेश बोध, एवं किन्नौर के अध्यक्ष फुन्चोक नेगी ने कहा कि संस्कृत भारत की ज्ञान-परंपरा की आत्मा है और इस भाषा का विरोध करना भारतीय संस्कृति, परंपरा एवं सभ्यता पर हमला करने के समान है।
संस्कृत न केवल भारत की प्राचीनतम भाषा है, बल्कि वैश्विक स्तर पर ज्ञान-विज्ञान, चिकित्सा, गणित, दशर्न, योग, आयुर्वेद, तकनीकी और साहित्य की आधारशिला रही है। ऐसे में संसद में इस भाषा के विरुद्ध अनर्गल टिप्पणी करना भारतीय अस्मिता और सांस्कृतिक धरोहर का घोर अपमान है। उन्होंने सरकार से मांग की कि संस्कृत भाषा का अनादर करने वाले लोगों के विरुद्ध उचित कार्रवाई की जाए और भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए ठोस नीतियां बनाई जाएं।