सोलन में सियासी एडजस्टमेंट या चिंगारी उठेगी
मंत्रिमंडल में एक सीट खाली रहने के चलते उठने लगी क्षेत्रीय जातीय संतुलन की बात
प्रदेश कांग्रेस की राजनीति में भीतर ही भीतर फिर हलचल शुरू हो गई है। चर्चा है कि प्रदेश मंत्रिमंडल में यदि फेरबदल होता है, तो सोलन जिला उसका केंद्र बिंदू अवश्य होगा। कयास लगाए जा रहे हैं कि सोलन जिले के अर्की, सोलन व दून निर्वाचन क्षेत्रों में उठापटक की संभावना है। सोलन जिले का आज तक का इतिहास है कि यहां पूरे जिले से कभी भी ब्राह्मण नेता को मंत्रिपद नहीं मिला। आज तक या तो राजपूत समुदाय का बोलबाला रहा है या फिर आरक्षित सीटों से विजयी विधायक मंत्री पद पर बैठे हैं। इसके अलावा दो बार खत्री बिरादरी के नेताओं को मंत्री पद की गद्दी प्राप्त हुई है। विडंबना यह है कि प्रदेश की राजनीति में सोलन जिले से कभी भी किसी भी पार्टी से निर्वाचित विधायक को कैबिनेट रैंक या राज्य मंत्री का पद नहीं मिला है। प्रदेश मंत्रिमंडल में अभी भी मंत्री का एक पद रिक्त चल रहा है। उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार छह संसदीय सचिवों को पहले ही पदच्युत किया जा चुका है। इन संसदीय सचिवों में से अर्की निर्वाचन क्षेत्र से संजय अवस्थी व दून से रामकुमार चौधरी शामिल हैं।
दोनों नेताओं को ही मुख्यमंत्री का करीबी माना जाता है। सूत्रों के अनुसार भविष्य में मंत्रिमंडल में एक रिक्त पद को भरने व अपने खास नेताओं को एडजस्ट करने के लिए उठापटक होने की प्रबल संभावना है। वर्तमान में सोलन जिले से एकमात्र मंत्री डा. कर्नल धनीराम शांडिल हैं। ऐसे में क्या सोलन जिले को एक और मंत्री मिल सकता है या चर्चा के अनुसार डा. शांडिल को कोई और महत्त्वपूर्ण पद देकर किसी और खासमखास को मंत्री पद पर बिठाया जा सकता है।