हिमाचल को हर साल चाहिए 10,000 करोड़ की ग्रांट
हिमाचल को हर साल चाहिए 10,000 करोड़ की ग्रांट
अगले पांच साल के लिए राजस्व घाटा अनुदान पर सब कुछ निर्भर
सीएम ने वित्तायोग चेयरमैन पनगढिय़ा से की है मांग
भारत सरकार का वित्त आयोग किसी भी राज्य की कमाई और खर्च के अंतर को राजस्व घाटा अनुदान यानी रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट से पूरा करता है। 15वें वित्तायोग में इस ग्रांट को टेपर करने के कारण वर्तमान सरकार को मुश्किल झेलनी पड़ रही है। वित्त आयोग के पहले साल 10 हजार करोड़ से ज्यादा ग्रांट आई, जबकि अंतिम वर्ष इस साल यह ग्रांट सिर्फ 3200 करोड़ पर अटक गई है। यही वजह है कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने वित्त आयोग के अध्यक्ष डा. अरविंद पनगढिय़ा से अगले आयोग के पांच साल में हर साल कम से कम 10 हजार करोड़ रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट की मांग की है। राज्य सरकार हर महीने वेतन व पेंशन के लिए 2000 करोड़ रुपए का खर्च करती है। वेतन का खर्च करीबन 1200 करोड़ रुपए और पेंशन का खर्च 800 करोड़ रुपए के लगभग है। ऐसे में हिमाचल के सीएम सुक्खू ने सोलहवें वित्त आयोग के चेयरमैन डा. अरविंद पनगढिय़ा से न्यूनतम 10 हजार करोड़ रुपए सालाना रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट की मांग की है। यदि ऐसा हुआ, तो हिमाचल को महीने में 833 करोड़ रुपए आरडीजी के रूप में आएंगे।
इससे कम से कम पेंशन का खर्च निकल जाएगा। इस मदद के आग्रह का कारण यह है कि हिमाचल के पास राजस्व घाटे को पाटने के लिए जरूरी संसाधन नहीं हैं।