24.7 C
New York
August 13, 2025
NationNews
Blog
हमारी ज़िन्दगी सबरंग का लेखा जोखा है, श्रद्धा सुमन ,सुनिये एक कहानी

हमारी ज़िन्दगी सबरंग का लेखा जोखा है, श्रद्धा सुमन ,सुनिये एक कहानी ।

१) हमारी ज़िन्दगी सबरंग का लेखा जोखा है। ज़िन्दगी में हर एक रिश्ता एक दूसरे के साथ जुड़ा होता है और कुछ सुनहरी यादें भी होती हैं, जिसकी एक अलग-सी खुशबु होती है।
कहते हैं कि ज़िन्दगी में हर एक को हर सुख नही मिलता है। कुछ न कुछ अधूरा सा रह जाता है। कई तमन्नायें अधूरी सी रह जाती हैं, और उसे पूरा करने का दूसरा मौका ज़िन्दगी हमे नहीं देती। उस वक़्त हमारे पास वो गुज़रे हुए लम्हों की यादें ही रह जाती हैं। “आसुओं से हम सुमन अर्पण तो करते हैं, लेकिन उसकी महक पा नहीं सकते।”
ऐसी ही एक हसींन याद जो अब मेरे जीवन के किताब में है यानि मेरे अतीत का एक पन्ना।
मेरा नाम स्वरा देसाई है। आज मेरी माँ इस दुनिया में नहीं है, उनको गुज़रे छः साल बीत गए। लेकिन आज भी जब उनके तस्वीर के सामने खड़ी हो कर उन्हें याद करती हूँ मेरी आँख से केवल पश्चाताप के आसु ही बहते हैं। मैं एक औरत होकर भी उनका दर्द न समझ पायी, यही गम मुझे खाए जा रहा है।

मेरी माँ का नाम तर्जनी देसाई था, वो सूरत (गुजरात) के सबसे रईस, अनिल और सुनंदा देसाई की इकलौती संतान थी। इस वजह से वो बड़े नाज़ो से पली थी। मेरी माँ पढाई में अच्छी होने के साथ-साथ खूबसूरत भी बहुत थी। MBA करने के बाद उन्हें वहीं एक बैंक में नौकरी भी मिल गयी। तब मेरे नाना ने कहा, “जब अपना खुद का ऑफिस है तो तुम्हे दूसरे जगह काम करने की क्या ज़रूरत?” तो वो हँस कर कह उठी, “पापा मुझे अपने दम पर कुछ हासिल करना है, आपके ऑफिस का काम मैं जब चाहे संभाल सकती हूँ, है न?”. उनकी बात सुन्न नाना मुस्करा पड़े।
बेटी जब जवान होने लगती है तबसे उसकी माँ को उसकी शादी की चिंता होने लगती है। मेरी नानी को भी उस वक़्त अपनी बेटी की शादी की चिंता ज़्यादा होती जब कोई पूछ लेता कि, “सुनंदा बेन बेटी की शादी कब कर रही हो?”
लेकिन मेरी माँ ने अपनी ज़िन्दगी के लिए जो सपने देखे थे वह उन्हें पूरा करना चाहती थी शादी की पहले इसलिए जब कोई रिश्ता आता तो वो उन्हें मना कर देती।

२) बैंक में नौकरी मिल जाने पर मनो उन्हें पंख मिल गए हैं- “गगन में ऊँची उड़ान भरने को”. बैंक में बहुत जल्द उनका एक ग्रुप बन गया जिसमे सब हमउम्र ही थे। आशीष, रीना, पल्लवी, माधव, शशांक, मयंक, और ईशित पटेल। ईशित ज़हीन खूबसूरत नेक-सीरत यानि किसी को भी पल भर में अपना बना लेने का हुनर था उसमे। वह सबका चहेता था। धीरे-धीरे वो माँ का ख़ास दोस्त बन गया। और फिर दोनों में प्यार हो गया।
सबसे छिप कर दोनों मिलने लगे, माँ घर पर झूट बोल कर ईशित के साथ ज़्यादा से ज़्यादा वक़्त गज़ारने लगी। आखिर एक दिन माँ ने नानी से अपने दिल की पूरी बात बता दी। पहले तो बेटी के मुह से सारी बातें सुन कर उन्हें बहुत गुस्सा आया। नानी ने अपनी नाराज़गी भी जताई, लेकिन थी तो एक माँ…अपनी बेटी की ख़ुशी के लिए मान गयी और अपने पति को भी इस रिश्ते के लिए रज़ामंद कर लिया।
अपनी बेटी की ख़ुशी के खातिर उन दोनों ने ईशित के माँ पापा से बात की। वह लोग भी ख़ुशी-ख़ुशी मान गए। एक शुभ दिन देख कर दोनों की सगाई कर दी गयी। दोस्तों ने यह बात सुनी तो पार्टी की मांग की। ईशित ने ख़ुशी-ख़ुशी हां भर दी। शनिवार की रात उसके फार्महाउस पर पार्टी थी। माँ अपनी सहेलियों के साथ वहाँँ गयी थीं। वे वहाँ रात को रुकने वाले थे।

३) रात १२ बजे म्यूजिक बंद हुआ और सबने खाना खाया। कुछ दोस्त वापस चले गए तो कुछ रुक गए।
एक कमरे में लड़को के रहने का इंतज़ाम था और एक कमरे में लड़कियों के लिए इंतज़ाम थे। इन सब में एक शख्स ऐसा भी था जो अपनी बेइज़्ज़ती का बदला पल्लवी से लेना चाहता था। उसका प्यार कभी कुबूल ही न हुआ था…ये उसकी तौहीन थी! ज़िन्दगी भर उसे याद रहे वह ऐसा सबक सीखना चाहता था। वह मौका उसे आज मिल गया। उसने पहले ही देख लिया था की कौन सी लड़की कहा सोने वाली है। सबके सो जाने के बाद वो उस पलंग के पास गया जहाँ पल्लवी सोने वाली थी। अँधेरे में उस लड़की के मुह को दबोचा और उसे छत पर ले गया। वहाँ उसने उसका बलात्कार किया।
अचानक से हुए इस हादसे से वो लड़की बेहोश हो गयी। वह दरिंदा चुप चाप अपनी जगह आ कर सो गया। माँ के कमरे में न होने पर पल्लवी ने उन्हें बहुत ढूँढा, उनके न मिलने पर सबको जगाया।
पल्लवी को अपने सामने देख वह दरिंदा चौंका, “यह यहाँ है….तो कल रात मैने….?” पल्लवी के मुहं से यह सुन कर की तर्जनी गायब है उसके पैरो तले ज़मीन खिसक गयी और अगर ईशित को पता चला तो वह उसे ज़िंदा नहीं छोड़ेगा। यह बात सोच कर वह बाथरूम में डर के मारे छुप गया।

४) आख़िरकार छत से आती आवाज़ सुन सब ऊपर गए और जो देखा उससे उनकी आँखें शर्म से झुक गयी। माँ वहाँ बंधी हुई पड़ी थी। पल्लवी नीचे से एक चादर ले आई और माँ को ढक दिया। माँ ईशित से लिपट कर बहुत रोई लेकिन उसके पास भी बोलने के लिए शब्द नहीं थे। सब सूरत वापस आ गए। नानी ने जब इस हादसे के बारे में सुना तो कुछ बोल न पाई…सोफे पर गिर गयी….पल्लवी ने उन्हें संभाला। रात को जब नाना घर आये तो सन्नाटा था। वो समझ नहीं पाये की बात क्या थी। अंदर आ कर नानी को बेहोश पाया तो वो घबरा गए। “क्या हुआ तुम क्यों ऐसे हो?” उन्होंने ने पूछा। नानी रोने लगी और माँ के साथ हुए हादसे के बारे में उन्हें बताया तो नाना के छाती में दर्द हुआ और वह “क्या? क्या? क्या?” कह कर गिर पड़े। गिरने की आवाज़ सुन्न नानी ने ईशित को बुलाया। वह माँ के कमरे से दौड़ता हुआ आया और नाना को हस्पताल ले गाय। लेकिन बहुत कोशिशों के बाद भी नाना को बचाया न जा सका। अचानक एक ही दिन में नानी ने दो गहरे ज़ख्म सहन किये। वह गुमसुम सी हो गयीं. ईशित और उसके माता-पिता ने सब कुछ संभाला। हस्पताल से नाना को घर ले आये। माँ को नाना के गुज़र जाने की बात पता न थी।
नाना की मौत की वजह मान, माँ पत्थर की मूरत बन गयी। न किसी से बात करती न किसी को पहचानती। सारी घटना जानने के बाद शशांक, माँ की ज़िन्दगी में किसी मसीहे की तरह आया और नानी और माँ को सँभालने लगा।
शुरू-शुरू में ईशित हर रोज़ माँ के घर आता था। लेकिन शशांक का रोज़ रोज़ आना देख उसे तकलीफ होने लगी। उसने धीरे-धीरे वहाँ आना बंद कर दिया।

५) एक दिन ईशित के माता-पिता नानी के पास आये और माफ़ी मांग कर रिश्ता तोड़ दिया। यह बता कर की वह बलात्कार हुई लड़की को वो अपने घर की बहु नहीं बना सकते…वो चले गए।
नानी माँ की बदकिस्मती पर रोने लगी। तब शशांक ने नानी को संभाला और कहा, “इस बात पर मातम न मनाये” उन्हें तो यह भी न पता चल सका की इस घटना का असली गुनेहगार कौन था?
डॉक्टर की दवाएं और शशांक की मेहनत रंग लाने लगी। माँ फिरसे ठीक होने लगी थी। शशांक का साथ मानो माँ को अँधेरे से रौशनी की और ले जाने लगा। नाना का देहांत, माँ की देख भाल, फैक्ट्री का काम-काज नानी के लिए बहुत मुश्किल बात थी पर वह एक चट्टान की तरह सब संभाल रही थी। रिश्ता टूटने पर समाज में तरह तरह की बातें होने लगी। पर शशांक और नानी का साथ था की माँ आगे बढ़ते रही। उस हादसे को ३ महीने हो गए थे। माँ बिलकुल ठीक हो गयी थीं। तब उन्हें पता चला की ईशित भी उन्हें छोड़ कर चला गया था। उन्हें उस गलती की सजा मिल रही थी जो उन्होंने कभी की ही नहीं थी,गलती किसी और की पर सजा उन्हें मिल रही थी। यह सब दुःख क्या कम थे माँ के जीवन में जो एक दिन उनकी तबीयत फिर बिगड़ी। उन्हें हस्पताल ले जाया गया, वहाँ मालूम पड़ा की माँ को बच्चा होने वाला है। उस बात से नानी का दुःख और भी बढ़ गया।
नानी ने ठान लिया की वो इस अनचाहे गर्भ को अपनी बेटी की ज़िन्दगी से निकल फेकेंगी और अपना फैसला उन्होंने माँ को बताया। माँ ने नानी के इस फैसले को मानने से इंकार कर दिया। “इस बच्चे की इसमें कोई गलती नहीं, मुझे कोई हक़ नहीं कि मैं उसकी साँसे छीनू”

६) देखते ही देखते शशांक की शादी प्रतिभा से हो गयी। प्रतिभा की हमदर्दी भी माँ के साथ थी। माँ का आठवा महीना चल रहा था की अचानक उनकी तबियत एक दिन ख़राब हो गयी। शशांक को फ़ोन कर नानी, माँ को हस्पताल ले गयी। जांच के बाद पता चला कि माँ की हालत काफी नाज़ुक है और ऑपरेशन करना पड़ेगा। शशांक तब तक आ चूका था और सारे कागज़ात पर उन्होंने दस्तख़त कर दिए थे। माँ ने मुझे जन्म दिया। कमज़ोर होने के कारन मुझे कुछ दिन काँच की पेटी में रखा गया था।

६) देखते ही देखते शशांक की शादी प्रतिभा से हो गयी। प्रतिभा की हमदर्दी भी माँ के साथ थी। माँ का आठवा महीना चल रहा था की अचानक उनकी तबियत एक दिन ख़राब हो गयी। शशांक को फ़ोन कर नानी, माँ को हस्पताल ले गयी। जांच के बाद पता चला कि माँ की हालत काफी नाज़ुक है और ऑपरेशन करना पड़ेगा। शशांक तब तक आ चूका था और सारे कागज़ात पर उन्होंने दस्तख़त कर दिए थे। माँ ने मुझे जन्म दिया। कमज़ोर होने के कारन मुझे कुछ दिन काँच की पेटी में रखा गया था।
हस्पताल से आ कर माँ ने मेरे नामकरण की ज़िम्मेदारी शशांक और प्रतिभा को दी। शशांक ने मुस्कुरा कर मेरा नाम सावरा रखा। देखते-देखते माँ फैक्ट्री जाने लगी थी और मुझे नानी संभालने लगी थी। काम में मुश्किलें आने पर माँ शशांक की मदद लिया करती थी।
कितने समय से शशांक माँ के साथ था। उन्होंने माँ के जीवन में हर अच्छे बुरे वक़्त में उनका साथ दिया था। वो भी किसी आरज़ू या शिकायत के बगैर। इस बात का असर माँ के मन पर पड़ा। वो मन ही मन शशांक को चाहने लगी थीं। मन की चाहत को प्लेटोनिक लव कहते हैं। जिसमें “जिस्मो का नहीं बल्कि आध्यात्मिक प्यार होता है” यानि कि “रूह का कुह से प्यार होता है” लेकिन इस प्रेम को समझना काफी मुश्किल काम है। इस प्यार की एहमियत किसी किसी को ही समझ आती है। इसमें दो लोगो के जज़्बात, सोच-समझ, एक दूसरे के लिए आत्मीयता, महसूस होते हैं।शशांक का बार-बार माँ के घर आना समाज में चर्चा का विषय बन गया था। लोग कई तरह की बातें करने लगे थे। पर इसकी परवाह न तो माँ को थी न शशांक को।

७) मैं बड़ी होने लगी थी। बचपन में मैं शशांक अंकल के आगे पीछे घुमा करती थी। कहते हैं कि बच्चों का मन काफी जज़्बाती होता है। मैं बड़ी हुई तो माँ और शशांक अंकल के बारे में सुन्न के मुझे माँ से नफरत होने लगी। अब तो यह हाल था की मैं शशांक अंकल का अपमान भी करने लगी थी। इस बात का माँ को बहुत दुःख होता था। वह मुझे डांटती तो शशांक अंकल बीच में आ कर कहते, “उसे मत कुछ कहो, वह अभी बच्ची है, बड़ी होगी तो खुद सब समझ जाएगी”
लेकिन वह दिन कभी न आया। माँ से नफरत के कारण मैंने अपने ही कॉलेज में पढ़ने वाले अलाप देसाई से शादी कर ली। माँ को बताया भी नहीं।
मेरा यह रूखापन माँ से सहन नहीं हुआ, उन्होंने कितने ख्वाब सजाये थे, एक-एक ख्वाब के तिनके से माँ ने अपना आशियाना बनाया था। लेकिन मैंने ही उनके ख्वाबो के आशियाने को जला दिया। वो अब थक गयी थी किस्मत के इस खेल से। पर थी तो माँ ही…मुझे दुआ देते हुए कहती, “गुलशन बस जाये उम्मीदों से तेरा यही दुआ है मेरी, मेरी बच्ची”
माँ को यह दुःख अंदर ही अंदर खाए जा रहा था। यह बात शशांक अंकल को पता चली तो उन्होंने सोचा, “किस्मत भी क्या क्या खेल खेल रही है तर्जनी के साथ, उसकी ज़िन्दगी एक सवाल ही तो बन गयी है, जिस बेटी के जन्म के लिए पुरे समाज से लड़ाई की उसे जन्म दिया आज वही बेटी उसके साथ इस तरह पेश आती है। “दुःख तो शशांक अंकल को भ होता था पर वो मजबूर थे। उन्होंने माँ को समझाया पर माँ अंदर ही अंदर इस गम से हारने लगी। माँ आज मुझसे ही हार गयी, वह ज़िंदा तो थीं पर उनके दिल की धड़कन “मैं” खो चुकी थी।

८) अब ज़िन्दगी जीने की कोई वजह ही नहीं रही उनके पास। अपना सब कुछ मेरे और आलाप के नाम कर दिया और हमारी ज़िम्मेदारी शशांक अंकल को सौप दी। एक रात डायरी लिखते लिखते सो गईं…फ़िर कभी भी न जागने के लिए।
दूसरे दिन अंकल घर आये तो नानी से पूछा, “तर्जनी कहा है?” तो नानी ने कहा, “न जाने अभी तक क्यों सो रही है” नानी की बात सुन वे माँ के कमरे में गए और देखा की वो गहरी नींद सो रही हैं, कुछ आशंका हुई तो उन्होंने नज़दीक जा कर जाचा। माँ इस दुनिया को छोड़ कर जा चुकी थी, वो दंग रह गये…
शशांक अंकल ने मुझे और आलाप को फ़ोन करके सच्चाई बताई। और बड़े दुःख के साथ उन्होंने अपनी पत्नी के साथ सारी रस्मे निभायी।
आखिर में माँ की वसीयत के मुताबिक सब कुछ मुझे और आलाप को सौप दिया और नानी को अपने साथ ले गए। जाते जाते माँ की डायरी मुझे देते हुए कहा, “स्वरा बेटा अगर वक़्त मिले तो एक बार इसे पढ़ना ज़रूर इसमें तेरी माँ की वो सच्चाई है जिससे तू आज तक अनजान थी”

घर आ कर मैंने डायरी पढ़ी। एक एक पेज पर माँ की वेदना झलक रही थी और जब अपनी सच्चाई पढ़ी तो फूट फूट कर रोने लगी। “अरे यह मैंने क्या कर डाला…उस माँ को कोसती रही जिसने समाज से लड़ कर मुझे जन्म दिया था” और शशांक अंकल और माँ का सच जान कर पानी-पानी हो गयी। उनका प्यार कितना सच्चा और शुद्ध था। मैं उन पर शक कर रही थी और न जाने क्या-क्या बोला था।
“अरे यह मैंने क्या किया…।” फिर मैंने सारी बातें आलाप को बताई।

९) आलाप ने कहा, “मैं तुम्हे सदा कहता था की किसी को जाने बगैर ऐसा नहीं कहना चाहिए कि बाद में सच पता चले तो हमे पछताना पड़े।”
“हाँ आलाप आपकी बात सही है मैंने माँ को बहुत गलत समझा वो तो इस दुनिया में रही नहीं लेकिन मैं अपनी गलती सुधारना चाहती हूँ।”
दूसरे दिन सुबह ही मैं आलाप को संग लिए शशांक अंकल के घर पहुंची। सुबह सुबह मुझे वहाँ देख कर अंकल समझ गए की मुझे माँ की सच्चाई पता चल गयी है।
“आओ स्वरा बेटा” शशांक अंकल ने मुझे प्यार से बुलाया। मैं सीधे उनके पैरो में गिर पड़ी और फुट फुट कर रोने लगी। अपनी गलतियो का पश्चाताप करने के लिए कहने लगी, “मुझे माफ़ कर दो।” मुझे प्यार से उठा कर अंकल ने कहा, “बेटा वक़्त का तकाज़ा यही है की जो हो गया उसे भूल जाओ। अगर यह तुम पहले करती तो तर्जनी आज शायद ज़िंदा होती। यूँ तस्वीर बन हमारे बीच न होती।”
मैं अपनी गलतियों पर बहुत रोई। “अंकल आज से मैं आपको पापा और प्रतिभा आंटी को माँ ही कहूँगी”
मेरी एक गलती की वजह से आज मेरी माँ इस दुनिया में नहीं है…और यही अफ़सोस मुझे ज़िन्दगी भर रहेगा…
यही है वह श्रद्धांजलि के फूल जिसे मैं अर्पण तो करुँगी लेकिन वो कभी खिलेंगे नहीं।
“पूरी कायनात में माँ की याद सबसे अलग होती है इससे बड़ी श्रद्धा-सुमन स्वर्गीय माँ के लिए क्या होगा?”

Related posts

सच्ची जिंदगी

Nation News Desk

दुर्लभ संयोग में पौष पूर्णिमा की प्रथम डुबकी के साथ महाकुंभ का शुभारंभ, उठी आस्था की लहर

Nation News Desk

गर्मियों में हिमाचल प्रदेश में घूमने के लिए प्रमुख पर्यटक स्थल

Nation News Desk

Weekly Job and Career Prediction (May 11–17, 2025)Aries

Nation News Desk

Vacancies : ओडिशा मे टीचर्स की 2546 भर्ती; 30.12.2024 से शुरू आवेदन, एग्जाम और इंटरव्यू से सिलेक्शन

Nation News Desk

Top 6 Blue-Collar Job Recruitment Portals to Kickstart Your Career in 2025

Nation News Desk

Recommended Financial Strategies for Today

Nation News Desk

Paytm Offers Simplified FASTag Recharge and HDFC Bank FASTag Purchase

Nation News Desk

Opinion: On Women’s Day, A Question ?

Nation News Desk

Nova Dairy rolls out Shuddhta Ki Mithas campaign ahead of Holi

Nation News Desk

MAHAKUMBH 2025: RAILWAYS REVOLUTIONIZING PILGRIMAGE TRAVEL

Nation News Desk

Langkawi’s flying five: Nature’s aerial oddities

Nation News Desk

It’s Official! Akhil Akkineni ties the knot with longtime girlfriend Zainab Ravdjee

Nation News Desk

Financial skills like managing debt are key to success, but Ghana’s small businesses don’t have them

Nation News Desk

Diljit Dosanjh’s Hyderabad Concert Faces Restrictions: Govt Bans Songs Promoting Alcohol, Violence

Nation News Desk

Did an Orca Really Kill Trainer Jessica Radcliffe? The Truth Behind the Viral Clip

Nation News Desk

Daylight Saving Time ends on November 3 in the US: Important facts to know

Nation News Desk

Cristiano Ronaldo’s fiancée stuns fans with huge engagement ring, you won’t believe the cost

Nation News Desk

Chandigarh Sector 17 is a popular commercial and entertainment hub, known for:

Nation News Desk

Breaking the Silence: BleedEqual’s Menopause Dialogue 2024 Drives Awareness and Action

Nation News Desk

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More

error: Content is protected !!