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छत्रपति शिवाजी राजे (भोसले) जयंती

📜 19 फरवरी 📜

🌹 छत्रपति शिवाजी राजे (भोसले) जयंती 🌹

जन्म : 19 फरवरी 1630
मृत्यु : 03 अप्रैल 1680

भारत के वीर सपूतों में से एक श्रीमंत छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे में सभी लोग जानते हैं. बहुत से लोग इन्हें हिन्दू हृदय सम्राट कहते हैं तो कुछ लोग इन्हें मराठा गौरव कहते हैं, जबकि वे भारतीय गणराज्य के महानायक थे.

कुछ लोग मानते हैं कि शिवाजी की जन्मतिथि अंग्रेजी कैलेंडर के आधार पर तय की जानी चाहिए. इस बात में भेद बिल्कुल नही होना चाहिये क्योंकि तारीख अंग्रेजी कैलेंडर अनुसार मानी जाती है और तिथि भारतीय पञ्चाङ्ग अनुसार जो कि सर्वदा उचित भी है इसका कारण यह है कि तिथि अनुसार जन्मदिवस अथवा पुण्य तिथि के दिन अधिकांश ग्रह नक्षत्र जन्म अथवा मृत्यु के समय वाले ही रहते हैं. उन्हीं ग्रह नक्षत्रों में व्यक्ति विशेष के प्रति किये गए दान पुण्य का पूर्ण फल मिलता है.

शिवाजी की जन्मतारीख अंग्रेजी कैलेंडर अनुसार 19 फरवरी 1630 है. वहीं पंचांग के अनुसार, वीरशिवाजी का जन्म वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया और तृतीया तिथि के मध्य 1551 शक संवत्सर में मानते हैं।

>> शिवाजी महाराज व्यक्तिगत विवरण <<

पूरा नाम – शिवाजी राजे भोंसले
उप नाम – छत्रपति शिवाजी महाराज
जन्म – 19 फ़रवरी 1630, शिवनेरी दुर्ग, महाराष्ट्र
मृत्यु – 3 अप्रैल 1680, महाराष्ट्र
पिता का नाम – शाहजी भोंसले
माता का नाम – जीजाबाई
शादी – सईबाई निम्बालकर के साथ, लाल महल पुणे में सन 14 मई 1640 में हुई.

>> शिवाजी महाराज की जीवनी <<

हमारा देश वीर शासको और राजाओं की पृष्ठभूमि रहा है. इस धरती पर ऐसे महान शासक पैदा हुए है जिन्होंने अपनी योग्यता और कौशल के दम पर इतिहास में अपना नाम बहुत ही स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज किया है. ऐसे ही एक महान योद्धा और रणनीतिकार थे. – छत्रपति शिवाजी महाराज. वे शिवाजी महाराज ही थे जिन्होंने भारत में मराठा साम्राज्य की नीवं रखी थीं.

शिवाजी जी ने कई सालों तक मुगलों के साथ युद्ध किया था. सन 1674 ई. रायगड़ महाराष्ट्र में शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक किया गया था, तब से उन्हें छत्रपति की उपाधि प्रदान की गयी थीं. इनका पूरा नाम शिवाजी राजे भोसलें था और छत्रपति इनको उपाधि में मिली थी. शिवाजी महाराज ने अपनी सेना, सुसंगठित प्रशासन इकाईयों की सहायता से एक योग्य एवं प्रगतिशील प्रशासन प्रदान किया था.

शिवाजी महाराज ने भारतीय सामाज के प्राचीन हिन्दू राजनैतिक प्रथाओं और मराठी एवं संस्कृत को राजाओं की भाषा शैली बनाया था. शिवाजी महाराज अपने शासनकाल में बहुत ही ठोस और चतुर किस्म के राजा थे. लोगो ने शिवाजी महाराज के जीवन चरित्र से सीख लेते हुए भारत की आजादी में अपना खून तक बहा दिया था.

>> शिवाजी महाराज का आरम्भिक जीवन <<

शिवाजी महाराज का जन्म 19 फ़रवरी 1630 में शिवनेरी दुर्ग में हुआ था. इनके पिता का नाम शाहजी भोसलें और माता का नाम जीजाबाई था. शिवनेरी दुर्ग पुणे के पास हैं, शिवाजी का ज्यादा जीवन अपने माता जीजाबाई के साथ बीता था. शिवाजी महाराज बचपन से ही काफी तेज और चालाक थे. शिवाजी ने बचपन से ही युद्ध कला और राजनीति की शिक्षा प्राप्त कर ली थी.

भोसलें एक मराठी क्षत्रिय हिन्दू राजपूत की एक जाति हैं. शिवाजी के पिता भी काफी तेज और शूरवीर थे. शिवाजी महाराज के लालन-पालन और शिक्षा में उनके माता और पिता का बहुत ही ज्यादा प्रभाव रहा हैं. उनके माता और पिता शिवाजी को बचपन से ही युद्ध की कहानियां तथा उस युग की घटनाओं को बताती थीं. खासकर उनकी माँ उन्हें रामायण और महाभारत की प्रमुख कहानियाँ सुनाती थी जिन्हें सुनकर शिवाजी के ऊपर बहुत ही गहरा असर पड़ा था. शिवाजी महाराज की शादी सन 14 मई 1640 में सईबाई निम्बलाकर के साथ हुई थीं.

>> एक सैनिक के रूप में शिवाजी महाराज का वर्चस्व <<

सन 1640 और 1641 के समय बीजापुर महाराष्ट्र पर विदेशियों और राजाओं के आक्रमण हो रहे थें. शिवाजी महाराज मावलों को बीजापुर के विरुद्ध इकट्ठा करने लगे. मावल राज्य में सभी जाति के लोग निवास करते हैं, बाद में शिवाजी महाराज ने इन मावलो को एक साथ आपस में मिलाया और मावला नाम दिया. इन मावलों ने कई सारे दुर्ग और महलों का निर्माण करवाया था.

इन मावलो ने शिवाजी महाराज का बहुत ज्यादा साथ दिया. बीजापुर उस समय आपसी संघर्ष और मुगलों के युद्ध से परेशान था जिस कारण उस समय के बीजापुर के सुल्तान आदिलशाह ने बहुत से दुर्गो से अपनी सेना हटाकर उन्हें स्थानीय शासकों के हाथों में सौप दी दिया था. तभी अचानक बीजापुर के सुल्तान बीमार पड़ गए थे और इसी का फायदा देखकर शिवाजी महाराज ने अपना अधिकार जमा लिया था. शिवाजी ने बीजापुर के दुर्गों को हथियाने की नीति अपनायी और पहला दुर्ग तोरण का दुर्ग को अपने कब्जे में ले लिया था।

>> शिवाजी महाराज का किलों पर अधिकार <<

सन 1674 तक शिवाजी ने उन सारे प्रदेशों पर अधिकार कर लिया था जो पुरंदर की संधि के अन्तर्गत उन्हें मुगलों को देने पड़े थे. बालाजी राव जी ने शिवाजी का सम्बन्ध मेवाड़ के सिसोदिया वंश से मिलते हुए प्रमाण भेजे थें. इस कार्यक्रम में विदेशी व्यापारियों और विभिन्न राज्यों के दूतों को इस समारोह में बुलाया था. शिवाजी ने छत्रपति की उपाधि धारण की और काशी के पंडित भट्ट को इसमें समारोह में विशेष रूप से बुलाया गया था. शिवाजी के राज्यभिषेक करने के 12वें दिन बाद ही उनकी माता का देहांत हो गया था और फिर दूसरा राज्याभिषेक हुआ.

>> शिवाजी महाराज की मृत्यु और वारिस <<

शिवाजी अपने आखिरी दिनों में बीमार पड़ गये थे और 3 अप्रैल 1680 में शिवाजी की मृत्यु हो गयी थी. उसके बाद उनके ज्येष्ठ पुत्र संभाजी को राजगद्दी मिली. उस समय मराठों ने संभाजी को अपना नया राजा मान लिया था. शिवाजी की मौत के बाद औरंगजेब ने पुरे भारत पर राज्य करने की अभिलाषा को पूरा करने के लिए अपनी 5,00,000 सेना को लेकर दक्षिण भारत का रूख किया इसी समय औरंगजेब के पुत्र ने विद्रोह कर दिया तब संभाजी ने उसे शरण दी लेकिन औरंगजेब ने विद्रोह शांत होने पर सम्भाजी को बंदी बनाकर मृत्यु कर दी. इसके बाद संभाजी के छोटे भाई राजाराम ने मराठो की गद्दी संभाली.

1700 ई. में राजाराम की मृत्यु हो गयी थी उसके बाद राजाराम की पत्नी ताराबाई ने 4 वर्ष के पुत्र शिवाजी की सरंक्षण बनकर राज्य किया. आखिरकार 25 साल मराठा स्वराज से युद्ध और थके हुए औरंगजेब को उसी छत्रपति शिवाजी के स्वराज में दफन किया गया.

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