लगातार घट रहा जल स्तर, पहाड़ी राज्यों के लिए बने विशेष नीति: मुकेश अग्निहोत्री
राजस्थान के उदयपुर में आयोजित दूसरे ऑल इंडिया स्टेट वाटर मिनिस्टर्स कॉन्फ्रेंस में हिमाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने जल सुरक्षा के लिए दीर्घकालिक एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया। इंडिया-2027 एक जल सुरक्षित राष्ट विषय पर अपने संबोधन में उन्होंने जल संकट, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों और नवाचार आधारित समाधान की आवश्यकता को रेखांकित किया, जिससे जल प्रबंधन को अधिक स्थायी बनाया जा सके। सम्मेलन के पहले दिन अपने उद्बोधन में उपमुख्यमंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने के लिए पहाड़ी राज्यों के लिए विशेष नीति बननी चाहिए।
मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि असमय बारिश और कम बर्फबारी के कारण जल स्रोतों का जल स्तर लगातार घटता जा रहा है। वैज्ञानिक अध्ययनों का हवाला देते हुए उप मुख्यमंत्री ने बताया कि हिमालयी ग्लेशियर प्रति दशक 20-30 मीटर की दर से पिघल रहे हैं, जिससे नदी प्रवाह में अनिश्चितता बढ़ रही है और जल संकट गहरा हो रहा है। इससे पीने के पानी, सिंचाई और जलविद्युत उत्पादन पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने जलवायु-सहिष्णु नीतियों और उन्नत वैज्ञानिक हस्तक्षेपों की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि हमें अपनी रणनीतियों पर पुनर्विचार करना होगा। हमें पारम्परिक जल स्रोतों के संरक्षण के साथ-साथ आधुनिक तकनीक, नवाचारों और विकल्पों पर विचार करना होगा। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल का 65 प्रतिशत हिस्सा वन क्षेत्र के तहत आता है, जो केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में है, जिससे विकास परियोजनाओं के लिए भूमि की उपलब्धता सीमित हो जाती है।