दूसरे का मांस खाने से सेहत नहीं बनती खुद को बीमार कर रहे है आप
बाजार में बिक रहे नॉनवेज पदार्थों पर भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ने किया अलर्ट
प्रदेश के लोगों को बाजार में बिकने वाले मांस, अंडों व अन्य पदार्थों के सेवन के साथ कहीं खतरनाक एंटीबॉयोटिक व कीटनाशक अवशेष तो नहीं परोसे जा रहे हैं। देश में कई स्थानों से मिली शिकायतों के बाद भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने प्रदेश के सभी जिलों को इस बारे में सतर्क रहने को कहा है। प्राधिकरण से मिली शिकायतों के आधार पर चर्चा चल रही है कि हिमाचल प्रदेश में भी जो मांस व इससे निर्मित अन्य खाद्य पदार्थ बिक रहे हैं उनमें कीटनाशक अवशेष हो सकते हैं तथा इसकी नियमित जांच करके उनके समय-समय पर सैंपल भी भरे जाएं। इसके अतिरिक्त बाहरी राज्यों से जो भी चिकन की सप्लाई होती है उन्हें जल्दी जवान करने के लिए कहीं एंटीबॉयोटिक इंजेक्शन का इस्तमाल तो नहीं हो रहा है।
कुछ एक प्रकार के मीट में हैवी मेटल्स होने की बातें भी की जा रही हैं। हिमाचल में जो नॉनवेज बिकता है उसमें चिकन, अंडे, फ्रोजन चिकन, मटन, कीमा व फिश इत्यादि प्रमुख रूप से वैरायटी शामिल है। एफएसएसएआई को शिकायतें मिली थी कि मीट से बनने वाले खाद्य पदार्थों में कच्चे माल में टीके लग रहे हैं तथा इनमें कीटनाशक अवशेष का प्रयोग कई स्थानों पर किया जाता है। प्राधिकरण ने कुछ समय पहले भी आदेश जारी किए थे
कीटनाशक का खतरा
जानवरों व पक्षियों के मीट में पेस्टिसाइड होने के कई कारण हैं। भारत में वर्ष 1948 में पहली बार डीडीटी का प्रयोग शुरू हुआ था तथा अब देश में लगभग 260 पेस्टिसाइड ऐसे हैं, जिन्हें अधिकृत करके फसलों पर इसका प्रयोग किया जाता है। इन्हीं फसलों व घास का सेवन जानवर करते हैं तथा इसलिए मांस व इससे निर्मित खाद्य पदार्थों में कीटनाशक अवशेष होने की संभावनाएं बहुत अधिक रहती हैं।