माइनिंग पर ईडी का खौफ, खनन कारोबार में नेता भी शामिल, 18 माह बाद सरकार के मंत्री और अधिकारी दिखा रहे सख्ती
शिमला. हिमाचल में माइनिंग माफिया का सम्राज्य खत्म नहीं हो रहा है। इसका सीधा सा कारण अरबों रुपए के अवैध माइनिंग के कारोबार में नेता भी शामिल हैं और माइनिंग माफिया को सत्ताधारी नेताओं का संरक्षण मिलता है। सरकार भाजपा की हो या कांग्रेस की, हमेशा ही विपक्षी दल खनन माफिया को लेकर सरकार को घेरता रहा है। अभी हाल ही में मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र नादौन के माइनिंग करोबारी पर ईडी के रेड पड़ने से अब माइनिंग माफिया को ईडी का खौफ सता रहा है। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है तो तय है कि खनन कारोबार से जुड़े कांग्रेस नेताओं को यह डर अधिक सता रहा है। इसके साथ ही खनन का संरक्षण देने वाले अधिकारियों पर भी शिकंजा कस सकता है।
नादौन में ईडी के रेड के बाद सरकार के उद्योग मंत्री और जिले के अधिकारी भी माइनिंग को लेकर सख्त नजर आ रहे हैं। उद्योग मंत्री ने ऊना दौरे के दौरान अधिकारियों को आदेश दिए कि वह अवैध खनन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। इसके बाद ऊना के डीसी ने अवैध खनन करने वालों के खिलाफ सख्ती दिखाई और रात को छापेमारी की। अवैध माइनिंग करने वालों के चालान भी किए। लेकिन सवाल यही है कि अवैध माइनिंग का मुद्दा हमेशा ही गरम रहता है लेकिन अब कार्रवाई की जा रही है। इससे पहले आरोपों पर मौन धारण कर लिया जाता था। यह तो तय है कि आने वाले दिनों में खनन माफिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सकती है और अवैध खनन से जुड़े करोबारियों के खिलाफ सख्त शिकंजा कस सकता है।
कांग्रेस विधायकों के बगावत के बाद और निर्दलीय विधायकों के कांग्रेस का साथ छोड़कर भाजपा का दामन थामने के बाद अवैध खनन का मामला छाया रहा। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू सीधे तौर पर बगावत करने वाले कांग्रेसी विधायकों और निर्दलीय विधायकों पर खनन को लेकर सीधे आरोप लगाते रहे हैं। जिससे साफ है कि सत्ता के जुड़े नेता और विपक्ष के नेता सभी माइनिंग के कारोबार में शामिल हैं। अपनी सत्ता के दम पर वह अवैध करोबार करते हैं। बगातव करने वाले नेता जब तक सरकार के साथ थे तो कार्रवाई नहीं हुई और न ही कोई आरोप लगाए गए। सरकार का साथ छोड़ने के बाद लगातार आरोपों से घिरे रहे। जिससे साफ होता है कि अवैध खनन का करोबार सत्ता के दम पर होता है।