5 अगस्त 2024
स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने थानेसर कुरूक्षेत्र में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनीे की इस घोषणा को जुमला बताया कि हरियाणा में भाजपा सरकार 24 फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदेगी। विद्रोही ने कहा कि किसी भी राज्य सरकार के लिए अपने दम पर एमएसपी पर किसानों की सभी फसले खरीदने की न तो आथिक हैसियत है और न ही उसके बूते में है। हरियाणा भाजपा सरकार का यह दावा सफेद झूठ है कि सरकार प्रदेश की 14 फसलों को अभी तक न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद रही है और 10 फसलों को और एमएसपी पर खरीदेगी। विद्रोही ने मुख्यमंत्री को खुली चुनौती दी कि यदि वे सच्चे-सुच्चे है तो उन 14 फसलों के नाम बताये जिन फसलों को हरियाणा में अभी तक एमएसपी पर खरीदा गया हो और कितने किसानों की कितनी-कितनी फसल एमएसपीे पर खरीदी गईं। सरकार में दम है तो 14 फसलों को एमएसपीे पर खरीदने के दावे पर श्वेत पत्र जारी करे जिसमें बताया जाये कि किस-किस जिले में उक्त 14 फसलों की कितनी-कितनी पैदावार हुई और किन-किन किसानों की कितनी-कितनी 14 फसलों एमएसपी पर खरीदी गई। जब यह विस्तृत श्वेत पत्र आयेगा तो न केवल सरकार का दावा स्वयं हवा-हवाई साबित होगा अपितु मुख्यमंत्री व पूरी भाजपा सरकार को शर्मसार भी होना पडेगा।
विद्रोही ने कहा कि कटु सत्य यह है कि जमीनी धरातल की वास्तविकता है कि मुख्यमंत्री का दावा सफेद झूठ ही नही अपितु किसानों को ठगने का ऐसा जुमला है जिसका सच्चाई से दूर-दूर तक कोई वास्ता नही। हरियाणा सरकार प्रदेश की मुख्य फसले गेंहू, सरसों, धान, बाजरा, कपास भी एमएसपीे पर जब खरीद नही पाती और हर साल मुठ्ठीभर फसल खरीद करके सरकारी खरीद बंद कर देती है और किसान इन फसलों की एमएसपी पर खरीदने के लिए धरने, प्रदर्शन करते रहते है, फिर भी उनकी पूरी फसल एमएसपी पर नही खरीदी जाती और इन मुख्य फसलों को भी एमएसपी पर खरीदने की बजाय बाजरा व सरसों को भावांतर खरीद योजना में डालकर किसानों को सरेआम ठगा जाता है। विद्रोही ने कहा कि जब सरकार गेंहू व धान की मुख्य फसल भी एमएसपी पर खरीद नही पाती है तो सहज अनुमान लगा ले कि अन्य फसलों की क्या हालत होगी। यदि भाजपा सरकार जरा भी किसान हित के प्रति ईमानदार है तो एमएसपी गारंटी कानून क्यों नही बनातीे जिसमें यह प्रावधान हो कि एमएसपी से कम भाव पर फसलों को खरीदना कानूनी अपराध होगा और ऐसा करने वालों को जेल होगी। ऐसा एमएसपी खरीद गारंटी कानून बनाते ही किसानों कीे समस्याएं अपने आप सुलझ जायेगी।