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पोकलेन आपरेटर के जज्बे को हर कोई कर रहा सलाम,अश्वनी कुमार बड़ी बडी चट्टानों को रोजाना 12 घंटे मशीन चलाकर हटाने में  कर रहे सर्च  टीमों की मदद

पोकलेन आपरेटर के जज्बे को हर कोई कर रहा सलाम

अश्वनी कुमार बड़ी बडी चट्टानों को रोजाना 12 घंटे मशीन चलाकर हटाने में  कर रहे सर्च  टीमों की मदद

मंडी, 9 अगस्त। पधर उपमंडल के तेरंग में 31 जुलाई की मध्यरात्रि को बादल फटने से आया  सैलाब जीवन भर का  जख्म दे  गया  है।  सैलाब ने अपनों के साथ खुशी-खुशी रह रहे छह परिवारों के 10 लोगों को सदा के लिए  जुदा कर दिया । वहीं अपने  साथ  चार परिवारों के आशियानों को भी बहा ले गया।   मंडी जिला प्रशासन ने बिना देरी किए पहले दिन से ही हादसे में लापता हुए 10  लोगों को ढंूढने में  पूरी ताकत झोंक दी परन्तु हादसा  इतना बड़ा था कि  बड़ी-बडी चट्टानों के बीच  फंसे लापता लोगों को ढूंढ कर निकालना  एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस और होमगार्ड की सर्च टीमों मुश्किल हो रहा था। मृतकों के परिजन प्रार्थना कर रहे थे कि उनके लापता परिजन की देह मिल जाए ताकि वह उनका अंतिम संस्कार कर सकें।  

इस निराशा में आशा की किरण बने पोकलेन ऑपरेटर अश्वनी कुमार।  बादल फटने से थल्टु खोड से लेकर तेरंग तक की छह किलोमीटर सड़क पूरी तरह से तहस-नहस हो चुकी थी। अश्वनी कुमार ने अपनी जान की परवाह न करते हुए वहां पोकलेन मशीन पहुंचा दी जहां पर पैदल पहुंचना मुश्किल था।। वह पिछले पाँच दिनों से रोजाना  12 घंटे से ज्यादा समय तक मशीन चलाकर बड़ी बड़ी चट्टानों के बीच फंसे शवों को निकालने में रेस्क्यू टीम की मदद कर् रहे हैं। लोग उनके इस जज्बे को सलाम कर रहे हैं। पोकलेन मशीन तेरंग न पहुंचती तो रेस्क्यू टीमों के लिए चट्टानों के नीचे फंसे शवों को निकालना संभव नहीं था।

 अश्वनी कुमार जिला कांगड़ा के जवाली के गांव रजोल कोटला के रहने वाले हैं और पोकलेन चलाते हैं। अश्वनी कुमार का कहना है कि उनकी यह कोशिश रही  है कि लापता व्यक्तियों को जल्दी से जल्दी ढूंढ कर उन्हें उनके परिजनों के सुपुर्द कर दूँ। अभी हादसे में एक व्यक्ति हरदेव को ढूंढने का कार्य किया जा रहा है। उनकी तलाश में मशीन द्वारा एक बार पूरा मलबा बदल कर रख दिया है। अब  हादसे के  नीचे की ओर पोकलेन मशीन से हरदेव की तलाश की जा रही है।

एडीएम मंडी डॉ मदन कुमार ने कहा कि लापता लोगों को ढूंढने में पोकलेन ऑपरेटर में सराहनीय कार्य किया है। अश्वनी कुमार ने ऐसी-ऐसी चट्टानों को पलट कर रख दिया, जिन्हें एक मशीन के माध्यम से हटाना असंभव लग रहा था। उन्होंने उम्मीद जताई की लापता हरदेव का शव अगर कहीं चट्टान के नीचे गहरी जगह पर भी फंसा होगा तो वहां से भी उसे ढूंढ कर निकाल लिया जाएगा।   

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