सूरज हत्याकांड: सीबीआई कोर्ट ने IPS जहूर जैदी समेत 8 पुलिस वालों को सुनाई उम्रकैद की सजा, जानें कितने का लगाया जुर्माना
शिमला जिले के कोटखाई में हुए गुड़िया दुष्कर्म व हत्याकांड में गिरफ्तार आरोपी सूरज की लॉकअप में हत्या के मामले में सभी दोषियों को उम्रकैद की सजा हुई है। सीबीआई कोर्ट ने दोषियों से उनकी आखिरी अपील सुनी। मामले में दोषी आईजी आईपीएस जहूर हैदर जैदी व डीएसपी समेत आठ पुलिस जवानों को तीन अलग-अलग धाराओं के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। वहीं सभी दोषियों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
बीती 18 जनवरी को सीबीआई कोर्ट ने गवाहों के बयान व सबूतों के आधार पर दोषी करार देने के बाद पुलिस ने जैदी के अलावा तत्कालीन डीएसपी मनोज जोशी, पुलिस सब इंस्पेक्टर राजिंद्र सिंह, एएसआई दीप चंद शर्मा, मानक मुख्य आरक्षी मोहन लाल व सूरत सिंह, मुख्य आरक्षी रफी मोहम्मद और कांस्टेबल रनीत सतेता को गिरफ्तार कर लिया था जो के अभी बुड़ैल जेल बंद है।
कोर्ट ने सभी आरोपियों को आईपीसी एक्ट 120-बी में उम्रकैद व 20 हजार जुर्माना, 302 में उम्रकैद व 20 हजार जुर्माना, 330 में 3 साल 10 हजार जुर्माना, 348 में एक साल व 5 हजार जुर्माना, को 120-बी, 195 में उम्रकैद व 20 हजार जुर्माना, 196 में 3 साल व 10 हजार जुर्माना, 218 में एक साल व 10 हजार जुर्माना और 201 में 1 साल और 5 हजार रुपये जुर्मानें की सजा सुनाई है। कोर्ट ने सभी आरोपियों को आईपीसी एक्ट 120-बी, 302 को 120-बी, 330 को 120-बी, 348 को 120-बी, 195 को 120-बी, 196 को 120-बी, 218 को 120-बी और 201 को 120-बी के साथ दोषी ठहराया है।
क्या था गुड़िया दुष्कर्म एवं हत्याकांड
शिमला जिले के कोटखाई में 4 जुलाई 2017 को लापता हुई 16 वर्षीय छात्रा का शव कोटखाई के तांदी के जंगल में निर्वस्त्र मिला था। मामले की जांच के लिए शिमला के तत्कालीन आईजी जैदी की अध्यक्षता में एसआईटी गठित की थी, जिसने सात आरोपियों को गिरफ्तार किया था जिनमें नेपाल मूल का एक युवक सूरज भी शामिल था। नेपाली युवक सूरज की कोटखाई थाने में पुलिस हिरासत के दौरान लॉकअप में मौत हो गई थी। मौत का यह मामला जांच के लिए बाद में हिमाचल पुलिस ने सीबीआई को सौंप दिया था।
सीबीआई ने दुष्कर्म एवं हत्याकांड की जांच करने वाली एसआईटी के सभी सदस्यों के खिलाफ हत्या की धारा 302 सहित 330, 331, 348, 323्, 326, 218, 195, 196, 201, 210बी व 330 के तहत केस दर्ज किया था। इस मामले में आईपीएस जहूर हैदर जैदी के अलावा तत्कालीन डीएसपी मनोज जोशी, पुलिस सब इंस्पेक्टर राजिंद्र सिंह, एएसआई दीप चंद शर्मा, मानक मुख्य आरक्षी मोहन लाल व सूरत सिंह, मुख्य आरक्षी रफी मोहम्मद और कांस्टेबल रनीत सतेता को नामजद किया गया। सीबीआई जांच में खुलासा हुआ कि सूरज की मौत पुलिस प्रताड़ना के कारण हुई थी।
पहले 20 दिसंबर को दिया जाना था मामले में फैसला
मामले में 13 दिसंबर को शिकायतकर्ता सीबीआई पक्ष, 16 को आरोपी जैदी, 17 को दीप चंद शर्मा, मोहन लाल, 18 को सूरत सिंह, 19 को मनोज जोशी व डीडब्ल्यू नेगी, 20 दिसंबर को राजिंद्र सिंह, रफी मोहम्मद व रनीत सतेता की गवाही व आखिरी बहस की हुई थी। कोर्ट ने आरोपी संख्या 5 और 7 ने अलग-अलग बयान देकर अपने बचाव साक्ष्यों को बंद कर दिया था। आरोपी 8 के अधिवक्ता ने भी अलग-अलग बयान देकर अभियुक्तों की ओर से बचाव साक्ष्य को बंद कर दिया, जबकि आरोपी 9 ने अलग-अलग दस्तावेज प्रस्तुत करते हुए बयान देकर साक्ष्य बंद कर दिया था। आरोपी नंबर-तीन की गवाही व साक्ष्य जनवरी में बंद किए गए जिसके बाद कोर्ट ने 18 जनवरी की तारीख फैसले के निर्धारित कर दी थी। 18 जनवरी को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सभी पक्षों द्वारा दी गई दलीलों, गवाहों के बयान व सबूतों के आधार पर जैदी और डीएसपी सहित आठ आरोपियों को दोषी करार दिया, जबकि एसपी नेगी को बरी कर दिया था।
गुड़िया हत्याकांड में नीलू को हो रखी है उम्रकैद की सजा
मामले में सत्र एवं जिला न्यायाधीश शिमला राजीव भारद्वाज की विशेष अदालत ने 18 जून 2021 को दोषी करार अनिल कुमार उर्फ नीलू उर्फ कमलेश को नाबालिग से दुष्कर्म और हत्या की धाराओं के तहत आजीवन आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। अप्रैल 2018 में सीबीआई ने चिरानी नीलू को गिरफ्तार किया था। 28 अप्रैल 2021 को शिमला की विशेष अदालत ने दोषी करार दिया था।
नवंबर 2019 में बहाल हो गए थे आरोपी पुलिस अधिकारी
सूरज लॉकअप हत्याकांड के हिमाचल सरकार ने आईजी जैदी, एसपी डीडब्ल्यू नेगी और डीएसपी मनोज जोशी को अगस्त 2017 में गिरफ्तारी के बाद निलंबित कर दिया था। करीब दो साल दो महीने बाद नवंबर 2019 में सरकार ने इन्हें नियमों के आधार पर बहाल कर दिया था। सीबीआई कोर्ट में सुनवाई के दौरान जैदी द्वारा कई बार गवाहों को भी धमकाया गया जिसके बाद कोर्ट ने उसकी जमानत भी कैंसिल कर दी थी।
पहले भी 582 दिन शिमला की कंडा जेल में रहे जहूर जैदी
जहूर हैदर जैदी 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वह गुड़िया दुष्कर्म एवं हत्याकांड के लिए गठित एसआईटी के प्रमुख थे, जिसे कोटखाई गुड़िया कांड की जांच का जिम्मा सौंपा गया था। सीबीआई ने अगस्त 2017 में उन्हें सूरज की मौत के मामले में गिरफ्तार किया। जैदी 582 दिन तक शिमला के कंडा जेल में रहे। अप्रैल 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी। जमानत के बाद भी उनके खिलाफ ट्रायल जारी रहा। जनवरी 2020 में तत्कालीन भाजपा सरकार ने उन्हें निलंबित कर दिया। तीन साल के निलंबन के बाद जनवरी 2023 में कांग्रेस सरकार ने उनकी सेवाएं बहाल कर दीं। सितंबर 2023 में उन्हें पुलिस विभाग में तैनाती दी गई थी।
गुड़िया और सूरज मामले में कब-कब क्या हुआ
4 जुलाई 2017 : महासू स्कूल से घर जा रही 16 वर्षीय लड़की गुड़िया (काल्पनिक नाम) लापता हो गई।
6 जुलाई 2017 : कोटखाई के दांदी जंगल में गुड़िया का शव मिला। पुलिस ने दुष्कर्म के बाद हत्या का शक जताया।
8 जुलाई 2017 : मौके पर पहुंचे एसपी। 72 घंटे बाद भी कोई सुराग नहीं लगने पर जन आक्रोश बढ़ा।
9 जुलाई 2017 : कई लोगों से पूछताछ के बाद भी कोई गिरफ्तारी नहीं होने पर सीबीआई जांच की उठी मांग।
10 जुलाई 2017 : सरकार ने बढ़ते जनाक्रोश के बाद जांच के लिए एसआईटी का किया गठन।
11 जुलाई 2017 : पीड़ित परिवार को पांच लाख रुपये का मुआवजा दिया गया। आरोपी को पकड़वाने के लिए एक लाख रुपये का इनाम घोषित हुआ।
12 जुलाई 2017 : तत्कालीन मुख्यमंत्री के फेसबुक पेज पर कुछ कथित आरोपियों के फोटो वायरल हुए।
13 जुलाई 2017 : एसआईटी ने छह लोगों आशीष, राजू, सुभाष, सूरज, लोकजन, दीपक को गिरफ्तार किया।
14 जुलाई 2017 : जांच के विरोध में ठियोग पुलिस थाना पर पथराव हुआ। गाड़ियां तोड़ी गईं। तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने केस सीबीआई को सौंपने का एलान किया।
15 जुलाई 2017 : दो और लोगों के सैंपल जांच के लिए एकत्र किए। मुख्यमंत्री ने सीबीआई जांच के लिए प्रधानमंत्री को लिखा पत्र।
16 जुलाई 2017 : दांदी जंगल में लोगों ने किया हवन। मामले की जांच के लिए जंगल में पहुंची एसआईटी।
17 जुलाई 2017 : दिल्ली से मुंबई तक जस्टिस फॉर गुड़िया की मांग को लेकर हुए प्रदर्शन। भाजपा नेताओं ने राजभवन पहुंचकर सरकार काे बर्खास्त करने की उठाई मांग।
18 जुलाई 2017 : कोटखाई पुलिस थाना में रात को इंटेरोगेशन के दौरान एक आरोपी सूरज की मौत हो गई। जनता ने थाने को घेरकर आग लगाने का प्रयास किया। कई पुलिसकर्मी हुए घायल।
22 जुलाई 2017 : सीबीआई ने दिल्ली में गुड़िया गैंगरेप और सूरज मौत मामले में केस दर्ज किया।
29 अगस्त 2017: सीबीआई ने सूरज हत्या मामले में आईजी जहूर एच जैदी, डीएसपी जोशी समेत आठ पुलिस कर्मी गिरफ्तार किए।
16 नवंबर 2017 : सूरज मौत मामले में ही पुलिस अधीक्षक डीडब्ल्यू नेगी को सीबीआई ने गिरफ्तार किया।
28 मार्च 2018 : हाईकोर्ट ने सुस्त जांच प्रक्रिया को लेकर अधिकारियों को फटकार लगाई और सीबीआई निदेशक को तलब किया।
29 मार्च 2018 : गुड़िया केस में हाईकोर्ट में फिर सुनवाई हुई। सीबीआई ने 25 अप्रैल से पहले गुड़िया के कातिल को पकड़ने का दावा किया।
13 अप्रैल 2018 : सीबीआई ने गुड़िया मामले में एक आरोपी को गिरफ्तार किया। कोर्ट में पेश कर उसे रिमांड पर लिया और दिल्ली ले गई।
22 अप्रैल 2018 : सीबीआई आरोपी को लेकर दिल्ली से शिमला पहुंची।
23 अप्रैल 2018 : आरोपी को सीबीआई मौके की निशानदेही के लिए दादी जंगल ले गई।
18 जून 2021 : गुड़िया से रेप के आरोपी नीलू को उम्र कैद की सजा सुनाई गई।
अप्रैल 2019 : जहूर एच जैदी को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत। जारी रहा ट्रायल।
जनवरी 2020 : भाजपा की तत्कालीन सरकार ने जैदी को निलंबित किया।
जनवरी 2023 : कांग्रेस सरकार ने जैदी की सेवाएं बहाल कीं।
सितंबर 2023 : जैदी को पुलिस मुख्यालय में बतौर आईजी तैनाती दी गई।
18 जनवरी 2024: सीबीआई कोर्ट ने आरोपियों को दोषी करार दिया