Religionnews Archives - NationNews https://nationnews.in/category/religionnews/ Voice of The Nation Fri, 06 Jun 2025 06:43:00 +0000 en-GB hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.1 https://nationnews.in/wp-content/uploads/2024/07/cropped-nationnews-signature-32x32.png Religionnews Archives - NationNews https://nationnews.in/category/religionnews/ 32 32 शिकारी देवी मंदिर, हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के शिकारी देवी मंदिर का इतिहास https://nationnews.in/history-of-shikari-devi-temple-mandi-himachal-pradesh/ https://nationnews.in/history-of-shikari-devi-temple-mandi-himachal-pradesh/#respond Fri, 06 Jun 2025 06:42:51 +0000 https://nationnews.in/?p=16866 शिकारी देवी मंदिर, हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के कांगड़ा, कुल्लू, शिमला और लाहौल-स्पीति की पर्वत श्रृंखलाओं के बीच स्थित एक ऐतिहासिक और रहस्यमयी स्थल है। यह मंदिर 3359 मीटर (11,000 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है और मंडी जिले की सबसे ऊंची चोटी, शिकारी देवी, पर स्थित है, जिसे “मंडी का मुकुट” भी कहा जाता है। 🏛️ मंदिर का इतिहासशिकारी देवी मंदिर की स्थापना पांडवों के अज्ञातवास के दौरान हुई थी। किंवदंती के अनुसार, पांडवों ने यहां तपस्या की थी और मां दुर्गा से आशीर्वाद प्राप्त किया था। मंदिर की छत नहीं है, और यह एक रहस्य बना हुआ...

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शिकारी देवी मंदिर, हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के कांगड़ा, कुल्लू, शिमला और लाहौल-स्पीति की पर्वत श्रृंखलाओं के बीच स्थित एक ऐतिहासिक और रहस्यमयी स्थल है। यह मंदिर 3359 मीटर (11,000 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है और मंडी जिले की सबसे ऊंची चोटी, शिकारी देवी, पर स्थित है, जिसे “मंडी का मुकुट” भी कहा जाता है।

🏛 मंदिर का इतिहास
शिकारी देवी मंदिर की स्थापना पांडवों के अज्ञातवास के दौरान हुई थी। किंवदंती के अनुसार, पांडवों ने यहां तपस्या की थी और मां दुर्गा से आशीर्वाद प्राप्त किया था। मंदिर की छत नहीं है, और यह एक रहस्य बना हुआ है। कहा जाता है कि कई बार मंदिर पर छत लगाने की कोशिश की गई, लेकिन हर बार वह गिर गई। यह माना जाता है कि देवी को छत पसंद नहीं है, और वह खुले आकाश के नीचे रहना चाहती हैं।
मंदिर में स्थापित देवी की मूर्ति के चारों ओर बर्फ गिरती है, लेकिन मूर्ति के पास कभी बर्फ नहीं जमती। यह एक चमत्कारी घटना मानी जाती है।

🛕 मंदिर की विशेषताएँ
रहस्यमयी छत: मंदिर की छत नहीं है, और यह एक रहस्य बना हुआ है।
बर्फ का चमत्कार: मंदिर में स्थापित देवी की मूर्ति के चारों ओर बर्फ गिरती है, लेकिन मूर्ति के पास कभी बर्फ नहीं जमती।
पांडवों की तपस्या: किंवदंती के अनुसार, पांडवों ने यहां तपस्या की थी और मां दुर्गा से आशीर्वाद प्राप्त किया था।

📍 स्थान और पहुंच
शिकारी देवी मंदिर मंडी जिले के जंजहली गांव से लगभग 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां तक पहुंचने के लिए जंगल मार्ग से जीप की सुविधा उपलब्ध है। मंदिर तक पहुंचने के लिए 500 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। यह स्थान प्राकृतिक सौंदर्य और शांति का प्रतीक है।

🎉 प्रमुख मेले और उत्सव
नवरात्रि के दौरान मंदिर में विशेष पूजा और मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। यह अवसर देवी की आराधना और आशीर्वाद प्राप्ति का होता है।

शिकारी देवी मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हिमाचल प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर और प्राकृतिक सौंदर्य का भी प्रतीक है। यहां की यात्रा एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करती है, जो श्रद्धालुओं और पर्यटकों दोनों के लिए अविस्मरणीय होती है।

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Manali हदिंबा देवी मंदिर, Know मंदिर का इतिहास https://nationnews.in/manali-history-of-hindiva-devi-mandir-in-manali-himachal-pradesh/ https://nationnews.in/manali-history-of-hindiva-devi-mandir-in-manali-himachal-pradesh/#respond Fri, 06 Jun 2025 06:34:18 +0000 https://nationnews.in/?p=16861 हदिंबा देवी मंदिर, जिसे हिडिम्बा देवी मंदिर भी कहा जाता है, हिमाचल प्रदेश के मनाली में स्थित एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है। यह मंदिर महाभारत काल से जुड़ी एक प्रमुख देवी, हदिंबा देवी को समर्पित है, जो राक्षस कुल में जन्मी थीं और बाद में तपस्या करके देवी के रूप में पूजी जाने लगीं। 🏛️ मंदिर का इतिहासहदिंबा देवी मंदिर का निर्माण 1553 ईस्वी में राजा बहादुर सिंह ने करवाया था। यह मंदिर एक गुफा के चारों ओर बनाया गया है, जहां देवी हदिंबा ने तपस्या की थी। मंदिर में देवी की कोई मूर्ति नहीं है, बल्कि एक विशाल...

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हदिंबा देवी मंदिर, जिसे हिडिम्बा देवी मंदिर भी कहा जाता है, हिमाचल प्रदेश के मनाली में स्थित एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है। यह मंदिर महाभारत काल से जुड़ी एक प्रमुख देवी, हदिंबा देवी को समर्पित है, जो राक्षस कुल में जन्मी थीं और बाद में तपस्या करके देवी के रूप में पूजी जाने लगीं।

🏛 मंदिर का इतिहास
हदिंबा देवी मंदिर का निर्माण 1553 ईस्वी में राजा बहादुर सिंह ने करवाया था। यह मंदिर एक गुफा के चारों ओर बनाया गया है, जहां देवी हदिंबा ने तपस्या की थी। मंदिर में देवी की कोई मूर्ति नहीं है, बल्कि एक विशाल पत्थर पर देवी के पदचिह्न अंकित हैं, जिन्हें पूजा जाता है।
महाभारत के अनुसार, पांडवों के वनवास के दौरान भीम ने हदिंबा के भाई हिडिम्ब को हराया था, जिसके बाद हदिंबा ने भीम से विवाह किया और उनका पुत्र घटोत्कच हुआ। भीम के वनवास समाप्त होने के बाद हदिंबा ने तपस्या की और देवी का आशीर्वाद प्राप्त किया। तब से वह स्थानीय लोगों के लिए एक प्रमुख देवी बन गईं और उनकी पूजा की जाने लगी।

🏯 वास्तुकला
हदिंबा देवी मंदिर की वास्तुकला अद्वितीय है। यह चार मंजिला पगोडा शैली में निर्मित है, जिसमें लकड़ी और पत्थर का उपयोग किया गया है। मंदिर की छत पर तीन लकड़ी की छतें हैं, जो टाइलों से ढकी हैं, और शीर्ष पर एक धातु की शंकु आकार की छतरी है। मुख्य द्वार पर देवी दुर्गा की नक्काशी है, और दीवारों पर विभिन्न देवी-देवताओं और जानवरों की नक्काशी की गई है।

🎉 प्रमुख मेले और उत्सव
धुंगरी मेला (14 मई): यह मेला हदिंबा देवी के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता है। स्थानीय महिलाएं पारंपरिक संगीत और नृत्य के साथ इस मेले में भाग लेती हैं।
सावन मेला: यह मेला राजा बहादुर सिंह की याद में आयोजित किया जाता है, जिन्होंने मंदिर का निर्माण करवाया था।
नवरात्रि: मनाली में नवरात्रि के दौरान हदिंबा देवी की पूजा विशेष रूप से की जाती है। स्थानीय लोग देवी की पालकी यात्रा निकालते हैं, जिसे ‘घोड़ा पूजा’ कहा जाता है।

📍 स्थान और पहुंच
हदिंबा देवी मंदिर मनाली के पुराने मनाली क्षेत्र में स्थित है, जो मनाली बस स्टैंड से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर है। यह मंदिर देओदार के घने जंगलों के बीच स्थित है, जो इसे एक शांत और आध्यात्मिक वातावरण प्रदान करता है।

हदिंबा देवी मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह हिमाचल प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक भी है। यहां की वास्तुकला, धार्मिक महत्व और प्राकृतिक सौंदर्य पर्यटकों और श्रद्धालुओं दोनों के लिए आकर्षण का केंद्र है।

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मीन संक्रांति 2025: होली पर सूर्य का राशि परिवर्तन, इन राशियों का गोल्डन टाइम होगा शुरू – SUN TRANSIT IN PISCES 2025 https://nationnews.in/%e0%a4%ae%e0%a5%80%e0%a4%a8-%e0%a4%b8%e0%a4%82%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%82%e0%a4%a4%e0%a4%bf-2025-%e0%a4%b9%e0%a5%8b%e0%a4%b2%e0%a5%80-%e0%a4%aa%e0%a4%b0-%e0%a4%b8%e0%a5%82%e0%a4%b0/ https://nationnews.in/%e0%a4%ae%e0%a5%80%e0%a4%a8-%e0%a4%b8%e0%a4%82%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%82%e0%a4%a4%e0%a4%bf-2025-%e0%a4%b9%e0%a5%8b%e0%a4%b2%e0%a5%80-%e0%a4%aa%e0%a4%b0-%e0%a4%b8%e0%a5%82%e0%a4%b0/#respond Thu, 13 Mar 2025 16:22:30 +0000 https://nationnews.in/?p=12002 मीन संक्रांति 2025: होली पर सूर्य का राशि परिवर्तन, इन राशियों का गोल्डन टाइम होगा शुरू – SUN TRANSIT IN PISCES 2025 सूर्य हर महीने अपनी राशि परिवर्तित करते हैं. अभी तक कुंभ में विद्यमान थे. इनके राशि बदलने से तमाम जातक प्रभावित होंगे. हिंदू सनातन धर्म में सूर्य को ग्रहों का राजा कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि कलयुग में सूर्य देव ही हैं, जिन्हें हम साक्षात आंखों से देख सकते हैं. सूर्य देव भी अन्य राशियों की तरह हर महीने अपनी राशि परिवर्तित करते हैं. ऐसा होने पर सभी राशि के जातकों पर प्रभाव पड़ता है. इस...

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मीन संक्रांति 2025: होली पर सूर्य का राशि परिवर्तन, इन राशियों का गोल्डन टाइम होगा शुरू – SUN TRANSIT IN PISCES 2025

सूर्य हर महीने अपनी राशि परिवर्तित करते हैं. अभी तक कुंभ में विद्यमान थे. इनके राशि बदलने से तमाम जातक प्रभावित होंगे.

हिंदू सनातन धर्म में सूर्य को ग्रहों का राजा कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि कलयुग में सूर्य देव ही हैं, जिन्हें हम साक्षात आंखों से देख सकते हैं. सूर्य देव भी अन्य राशियों की तरह हर महीने अपनी राशि परिवर्तित करते हैं. ऐसा होने पर सभी राशि के जातकों पर प्रभाव पड़ता है. इस महीने भी सूर्य 14 मार्च 2025 को राशि बदल रहे हैं. आइये विस्तार से इस परिवर्तन के बारे में जानते हैं.

जानकारी के मुताबिक सूर्य अभी तक कुंभ राशि में विद्यमान हैं, जो शुक्रवार 14 मार्च 2025 को मीन राशि में गोचर करेंगे. सूर्य का यह राशि परिवर्तन सभी 12 राशियों पर असर डालेगा. ज्योतिषाचार्य ने बताया कि कुछ राशियों के लिए यह परिवर्तन फलदायी होगा, तो कुछ को सावधान रहने की जरुरत है.

राशिनुसार जानते हैं राशियों पर पड़ने वाले प्रभाव-

मेष राशि

सूर्य का मीन राशि में गोचर आपके लिए अच्छा रहेगा. हालांकि कुछ विपरित स्थितियां भी देखने को मिलेगी. इस अवधि में आपकी कार्यक्षमता में भी वृद्धि होगी. अपने साहस और पराक्रम के बल पर आपको सफलता भी हासिल होगी. इस दौरान आपके खर्चे भी होंगे. आपको आर्थिक नुकसान से बचने की जरूरत होगी. हालांकि, विदेश से जुड़े कार्यों में आपको सफलता मिल सकती है. इस अवधि में आपको अपनी सेहत का ध्यान रखने की जरूरत होगी.

उपाय – प्रतिदिन गायत्री मंत्र का जाप करना आपके लिए अच्छा रहेगा.
वृषभ राशि

मीन संक्रांति से एक महीने तक का समय आपके लिए काफी अच्छा रहेगा. इस दौरान आपकी इनकम में भी वृद्धि होगी. सामाजिक कार्यों में भी आपकी रुचि देखने को मिलेगी. अभी आप बेहतर प्रयास करेंगे, जिससे आपकी पढ़ाई अच्छी चलेगी. करियर भी अच्छा चलेगा. इस दौरान आपको कई लोगों का सहयोग भी मिलेगा.

उपाय- आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें, लाभ होगा.

मिथुन राशि

सूर्य का मीन राशि में गोचर आपके लिए लाभकारी रहेगा. इस दौरान आपकी उन्नति हो सकती है. नौकरी और व्यापार में भी सफलता हासिल होगी. आप अपने दम पर इन क्षेत्रों में सफलता हासिल कर सकते हैं. आपको अपने माता-पिता का आशीर्वाद प्राप्त होगा. व्यापार करने के इच्छुक लोग आगे बढ़कर कोई काम शुरू कर सकते हैं. हालांकि पिता के साथ आपके संबंध बिगड़ सकते हैं. कार्यक्षेत्र में रुकावट हो सकती है, ध्यान रखें.

उपाय – सूर्यदेव को कुमकुम मिलाकर अर्घ्य देना लाभकारी रहेगा.
कर्क राशि

सूर्य के मीन राशि में जाने से एक महीने का समय आपके लिए काफी लाभाकारी रहेगा. हालांकि इस दौरान आपको अपने कार्यों के साथ ही समय का भी अच्छी तरह प्रबंधन करना होगा. सही कार्य प्रबंधन से आपके सफलता के द्वार खुल सकते हैं. इस दौरान आप घर-परिवार के साथ किसी यात्रा पर भी जा सकते हैं. आपका आत्मविश्वास अच्छा रहेगा. विद्यार्थियों की बात करें, तो उनके लिए भी यह समय अच्छा रहेगा.

उपाय – प्रतिदिन सूर्याष्टक का पाठ करना शुभ होगा.

सिंह राशि

सूर्य का मीन राशि में गोचर कुछ परेशानी भरा हो सकता है. आपके मन में किसी बात को लेकर चिंता हो सकती है. हालांकि आपके मन से निराशा दूर होगी और आत्मविश्वास का संचार होगा. इस अवधि आपको अपनी वाणी पर नियंत्रण रखना होगा. वाणी में कटुता के का असर संबंधों पर देखने को मिल सकता है. परिवार या ससुराल पत्र के साथ संबंध बिगड़ सकते हैं. सेहत का ध्यान रखें. वाहन चलाने में सावधानी बरतनी होगी.

उपाय – प्रतिदिन भगवान शिव के पंचाक्षर मंत्र का जाप करें.

कन्या राशि

मीन संक्रांति से अगले एक महीने तक का समय आपके लिए थोड़ा मुश्किल भरा हो सकता है. इस दौरान आपमें अहं भी देखने को मिलता है. जीवनसाथी और बिजनेस पार्टनर के साथ संबंध भी खराब हो सकते हैं. इस अवधि में आपको बड़ों का सम्मान करने की सलाह दी जाती है. इस अवधि में आपकी निर्णय क्षमता बेहतर होगी. आप नए कार्य भी शुरू कर सकते हैं. हालांकि जीवनसाथी के साथ संबंधों ध्यान रखें, अन्यथा कार्यक्षेत्र पर इसका विपरीत प्रभाव देखने को मिल सकता है.

उपाय- पिता का आशीर्वाद लेकर कार्य शुरू करें, लाभ होगा.

तुला राशि

सूर्य का मीन राशि में गोचर आपके लिए अच्छा रहेगा. इस अवधि में शत्रुपक्ष कमजोर होंगे. आप नौकरी बदलने या बिजनेस में कुछ नया करने को इच्छुक हो सकते हैं. इस दौरान लापरवाही से बचें, अन्यथा परेशानी हो सकती है. हालांकि, समझदारी से काम करने से आपको लाभ होगा. इस दौरान लेन-देन के कार्यों में पूरी सावधानी बरतें.

उपाय – गायत्री मंत्र का पाठ करना आपके लिए अच्छा रहेगा.

वृश्चिक राशि

सूर्य का मीन राशि में गोचर के कारण आपके जीवन में चुनौतियां आ सकती है. इस अवधि में आपकी लव लाइफ में भी बाधा उत्पन्न हो सकती है. संतान को लेकर भी चिंता हो सकती है. धर्म-कर्म के कार्यों में भी आपकी रूचि देखने को मिल सकती है. आपके अपने कम पर भी फोकस करना होगा. आपको काम पर ध्यान देंगे, तो आपको सफलता मिल सकती है. आपके अपने काम को कल पर टालने से बचना होगा. आप सामाजिक कार्यक्रम का भी हिस्सा बन सकते हैं.

उपाय – भगवान शिव का जलाभिषेक करना लाभकारी रहेगा.

धनु राशि

सूर्य का मीन राशि में गोचर आपके लिए थोड़ा चिंताजनक हो सकता है. जमीन-जायदाद से जुड़े काम में आपको बेहद सावधानी रखनी होगी. आप अपने काम में काफी मेहनत करेंगे, जिससे आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा. आपको अपने लक्ष्यों पर फोकस करने के साथ ही सही निर्णय लेकर आगे बढ़ना होगा. अभी आपको अपनी माता की सेहत का ध्यान रखना होगा.

उपाय – प्रतिदिन गायत्री मंत्र की एक माला का जाप करें, लाभ होगा.

मकर राशि

सूर्य का मीन राशि में गोचर के प्रभाव से आपके आत्मविश्वास में वृद्धि देखने को मिलेगी. आप नए-नए काम करने का रिस्क लेंगे. इस अवधि में आको भाग्य का भी साथ मिलेगा. आपको अपने कार्यों में पहले की अपेक्षा ज्यादा लाभ होगा. आपको दूसरों की आलोचना से बचने की जरूरत होगी. छोटे भाई-बहनों के साथ भी आपके संबंध बेहतर रहेंगे. हालांकि, गोचर के इस प्रभाव से मकर राशि वालों के लिए यह समय मुश्किल भरा हो सकता है. यात्रा के दौरान किसी तरह की लापरवाही न बरतें, आर्थिक नुकसान हो सकता है.

उपाय – जरूरतमंद लोगों को गेहूं का दान करना फलदायी होगा.
कुंभ राशि

मीन संक्रांति से एक महीने का समय कुंभ राशि वाले लोगों के लिए मध्यम फलदायक रहेगा. जीवन में स्थिरता के भी योग दिखाई दे रहे हैं. इस दौरान आपको अपने व्यवहार पर भी ध्यान रखना होगा. इससे आपको लाभ होगा. इस अवधि में आपको अपनी सेहत का ध्यान रखना होगा. परिजनों के साथ बहल करने से बचें. अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाए रखने का प्रयास करें. इस दौरान किसी को उधार देने से बचें, अन्यथा आर्थिक नुकसान हो सकता है.

उपाय- प्रतिदिन सूर्याष्टक पाठ करना आपके लिए लाभकारी साबित होगा.

मीन राशि

सूर्य अब आपकी ही राशि में गोचर करेंगे. इस अवधि में आपमें कुछ अहं देखने को मिल सकता है. अभी आपके उच्च स्तर की ऊर्जा देखने को मिल सकती है. आपमें काफी क्रोध भी देखने को मिल सकता है. हालांकि, आपके मान-सम्मान में वृद्धि होगी. आपको मानसिक अशांति का भी सामना करना पड़ सकता है. जीवनसाथी के साथ विवाद से बचें और उनके साथ तालमेल बनाकर चलें. सूर्य के गोचर के प्रभाव से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं. अभी आपको आय तो होगी, लेकिन खर्चे भी बढ़ सकते हैं.

उपाय- प्रतिदिन गायत्री मंत्र की एक माला का जाप करना शुफ फलदायी होगा.

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महाशिवरात्रि पर कैसा है संयोग, बुध-शनि और सूर्य किस राशि में होंगे विराजमान, जानिए

26 फरवरी को मनाया जाएगा पर्व, बुध-शनि और सूर्य कुंभ राशि में होंगे विराजमान
महाशिवरात्रि पर श्रवण नक्षत्र का संयोग बन रहा है। श्रवण नक्षत्र इस दिन सुबह से लेकर शाम 5:08 बजे तक प्रभावी रहेगा। इस दिन बुध, शनि और सूर्य तीनों कुंभ राशि में विराजमान होंगे। ऐसे में बुधादित्य योग, त्रिग्रही योग का निर्माण हो रहा है, जो कई राशियों के लिए शुभ साबित होगा। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का महापर्व बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि जो भी भक्त इस दिन व्रत रखता है और विधि-विधान से पूजा करता है, उसकी मनोकामनाएं शीघ्र ही पूरी होती हैं।
जवाली के ज्योतिषी पंडित विपन शर्मा ने बताया कि इस वर्ष महाशिवरात्रि 26 फरवरी को है। हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की चतुर्दशी तिथि 26 फरवरी 2025 को सुबह 11:08 बजे से शुरू हो रही है और 27 फरवरी 2025 को सुबह 08:54 बजे तक रहेगी, इसलिए महाशिवरात्रि 26 फरवरी को मनाई जाएगी।
पौराणिक कथा के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह हुआ था। इसलिए हर वर्ष फाल्गुन माह की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि शिव की उपासना और व्रत करने से विवाह में आ रही बाधा से छुटकारा मिलता है और जल्द विवाह के योग बनते हैं।
इन राशियों को मिलेगा लाभ
मेष राशि: मेष राशि के लोगों को पद के साथ पैसा बढऩे के योग, जिस काम को करने की कई दिनों से सोच रहे हैं उसमें सफलता मिलेगी। बिजनेस को सुचारू रूप से चलाने के लिए योजनाएं फलित होंगी।

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महाकुम्भ 2025 आज 10 घंटे से अधिक समय तक पावन स्नान करेंगे अखाड़े, महानिर्वाणी से होगी शुरुआत https://nationnews.in/%e0%a4%ae%e0%a4%b9%e0%a4%be%e0%a4%95%e0%a5%81%e0%a4%ae%e0%a5%8d%e0%a4%ad-2025-%e0%a4%86%e0%a4%9c-10-%e0%a4%98%e0%a4%82%e0%a4%9f%e0%a5%87-%e0%a4%b8%e0%a5%87-%e0%a4%85%e0%a4%a7%e0%a4%bf%e0%a4%95/ https://nationnews.in/%e0%a4%ae%e0%a4%b9%e0%a4%be%e0%a4%95%e0%a5%81%e0%a4%ae%e0%a5%8d%e0%a4%ad-2025-%e0%a4%86%e0%a4%9c-10-%e0%a4%98%e0%a4%82%e0%a4%9f%e0%a5%87-%e0%a4%b8%e0%a5%87-%e0%a4%85%e0%a4%a7%e0%a4%bf%e0%a4%95/#respond Wed, 29 Jan 2025 00:25:07 +0000 https://nationnews.in/?p=9656 महाकुम्भ 2025 आज 10 घंटे से अधिक समय तक पावन स्नान करेंगे अखाड़े, महानिर्वाणी से होगी शुरुआत मौनी अमावस्या पर्व परआज बुधवार को अखाड़ों के संत एवं नागा संन्यासी 10 घंटे से अधिक समय तक अमृत स्नान करेंगे। सबसे पहले संन्यासी परंपरा के महानिर्वाणी एवं शंभू पंचायती अटल अखाड़ा के संत सुबह 6.15 बजे स्नान करेंगेमौनी अमावस्या पर्व पर बुधवार को अखाड़ों के संत एवं नागा संन्यासी 10 घंटे से अधिक समय तक अमृत स्नान करेंगे। सबसे पहले संन्यासी परंपरा के महानिर्वाणी एवं शंभू पंचायती अटल अखाड़ा के संत सुबह 5.00 बजे स्नान करेंगे। इसके लिए संत अपने शिविर से चार...

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महाकुम्भ 2025 आज 10 घंटे से अधिक समय तक पावन स्नान करेंगे अखाड़े, महानिर्वाणी से होगी शुरुआत

मौनी अमावस्या पर्व परआज बुधवार को अखाड़ों के संत एवं नागा संन्यासी 10 घंटे से अधिक समय तक अमृत स्नान करेंगे। सबसे पहले संन्यासी परंपरा के महानिर्वाणी एवं शंभू पंचायती अटल अखाड़ा के संत सुबह 6.15 बजे स्नान करेंगे
मौनी अमावस्या पर्व पर बुधवार को अखाड़ों के संत एवं नागा संन्यासी 10 घंटे से अधिक समय तक अमृत स्नान करेंगे। सबसे पहले संन्यासी परंपरा के महानिर्वाणी एवं शंभू पंचायती अटल अखाड़ा के संत सुबह 5.00 बजे स्नान करेंगे। इसके लिए संत अपने शिविर से चार बजे प्रस्थान कर जाएंगे। वहीं, आखिरी में निर्मल अखाड़ा के संत दिन में 2.25 बजे से 2.45 बजे तक स्नान करेंगे।
अखाड़े का नाम शिविर से प्रस्थान (समय) संगम पहुंचने का समय स्नान की अवधि (मिनट)
महानिर्वाणी एवं अटल  4:00 5:00 40
निरंजनी एवं आनंद 4:50 5:50 40
जूना, आवाहन एवं पंचाग्नि 5:45 6:45 40
निर्वाणी 8:25 9:25 30
दिगंबर 9:05 10:05 50
निर्मोही 10:05 11:05 30
नया पंचायती 11:00 12:00 55
बड़ा पंचायती 12:05 1:05 60
निर्मल पंचायती 1:25 2:25 40
मौनी अमावस्या पर अमृत स्नान के लिए विशेष तैयारी की गई है। मकर संक्रांति अमृत स्नान के दौरान अखाड़ा मार्ग पर श्रद्धालु भी घुस गए थे। बैरिकेडिंग भी टूट गई थी। इसके अलावा अखाड़ों के स्नान घाट पर भी श्रद्धालु पहुंच गए थे। इसे देखते हुए मौनी के लिए अखाड़ा मार्ग पर मजबूत बैरिकेडिंग की गई है। जाली भी लगाई जा रही है। ताकि, लोग बैरिकेडिंग में घुस भी ना सकें। इसके अलावा अखाड़ों के स्नान घाट का विस्तार किया गया है। इसके लिए घाट को यमुनाजी की तरफ बढ़ाया गया है। इसके अलावा घाट पर भी बैरिकेडिंग की गई है।

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MAHAKUMBH 2025: RAILWAYS REVOLUTIONIZING PILGRIMAGE TRAVEL https://nationnews.in/mahakumbh-2025-railways-revolutionizing-pilgrimage-travel/ https://nationnews.in/mahakumbh-2025-railways-revolutionizing-pilgrimage-travel/#respond Thu, 23 Jan 2025 23:59:38 +0000 https://nationnews.in/?p=9225 MAHAKUMBH 2025: RAILWAYS REVOLUTIONIZING PILGRIMAGE TRAVEL Gently flows the mighty Ganga, embracing the ancient and the new, invigorating life as we know it, and nurturing civilizations revering its every drop. Celebrated since perpetuity all along its journey, every 12 years the mighty river receives millions that flock to it seeking its blessings. For vast multitudes, the Kumbh Mela, observed at the confluence of the Ganga, Yamuna and the invisible Saraswati at Prayag, has remained a symbolic link with ancestors who generations ago came to the very spot in reverence, and went back with memories that lasted a life time. The...

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MAHAKUMBH 2025: RAILWAYS REVOLUTIONIZING PILGRIMAGE TRAVEL

Gently flows the mighty Ganga, embracing the ancient and the new, invigorating life as we know it, and nurturing civilizations revering its every drop. Celebrated since perpetuity all along its journey, every 12 years the mighty river receives millions that flock to it seeking its blessings. For vast multitudes, the Kumbh Mela, observed at the confluence of the Ganga, Yamuna and the invisible Saraswati at Prayag, has remained a symbolic link with ancestors who generations ago came to the very spot in reverence, and went back with memories that lasted a life time. The Maha Kumbh of 2025, currently underway at Prayag, is anticipated to see a footfall of nearly 300 million pilgrims during the 45 days of the mela, making it the largest religious gathering on the planet. It has taken a mammoth effort, by all the stakeholders, to ensure that this vast multitude of humanity reaches the holy sangam and partakes its blessings with ease.

For Mahakumbh 2025, the Indian Railways is not just facilitating travel but making the entire experience a remarkable blend of tradition and technology. It has taken an investment of Rs 5,000 crore over the past three years to develop Kumbh-related infrastructure projects, including a new river bridge. Not to be outdone, the digital initiatives taken to facilitate travel for the citizens at large, are taking the lead in transforming rail travel into a pleasurable experience.

Pilgrimage Goes Digital

The Kumbh Rail Seva website launched by the Indian Railways, is a one-stop digital platform for real-time updates on train schedules, ticket availability and station amenities. Paired with a multilingual mobile app, it ensures no devotee is left behind, regardless of linguistic or technical barriers. Pilgrims can plan routes, book tickets, and access essential services at their fingertips – a critical step for managing the influx of millions.

To enhance accessibility and inclusivity, announcements are being made in 12 major Indian languages, catering to the linguistic diversity of the country. Even the facilitation booklet is available in 22 languages. The toll free number also provides information in Hindi, English and regional languages, ensuring seamless communication regardless of language, region or country.

The integrated digital Railway Display Network at nearly 2,000 stations offers real-time updates for passengers. By streamlining communication, these digital screens ensure that pilgrims experience minimal inconvenience during their journey. Moreover, Indian Railways has embraced social media platforms like Twitter, Facebook, and Instagram, keeping travellers informed with timely updates and announcements.

Complementing these efforts are touch-screen kiosks strategically installed at major terminals. These kiosks function as both ticket counters and information hubs, enabling efficient navigation and reducing long queues. Additionally, the integration of barcode-based UTS (Unreserved Ticketing System) at stations, along with QR codes printed on the specially designed green jackets of Railway personnel, is saving long waiting time at ticket counters and at the same time reducing paper usage.

War Room: Safeguarding the Mahakumbh Experience
The nerve centre of this massive logistical operation is the 24×7 Mahakumbh War Room in Prayagraj. Armed with cutting-edge monitoring systems, the War Room oversees real time train operations, public traffic, and crowd movement in constant coordination with Mahakumbh administration and disaster management agencies.
More than a thousand surveillance cameras (some equipped with facial recognition) and drones have been deployed to enhance security monitoring. More than 23,000 Railway Protection Force (RPF) and state police personnel are on ground, supporting the digital surveillance and disaster management systems.

A Vision for the Future

By embracing innovation, even while honouring spirituality, Indian Railways is not merely transporting devotees; it is shaping an experience that bridges the past and the future. Initiatives undertaken by leveraging state of the art technology, exemplify the happy coexistence of India’s rich cultural and spiritual legacy, and the world of emerging scientific innovation. Mahakumbh 2025, stands as a testimony to the government’s dedication to both – preserving India’s heritage, and shaping a technology-rich future for the coming generations.

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ये संकेत बताते हैं कि आपसे खुश हैं भगवान, हर समस्या का निकलने वाला है हल https://nationnews.in/%e0%a4%af%e0%a5%87-%e0%a4%b8%e0%a4%82%e0%a4%95%e0%a5%87%e0%a4%a4-%e0%a4%ac%e0%a4%a4%e0%a4%be%e0%a4%a4%e0%a5%87-%e0%a4%b9%e0%a5%88%e0%a4%82-%e0%a4%95%e0%a4%bf-%e0%a4%86%e0%a4%aa%e0%a4%b8%e0%a5%87/ https://nationnews.in/%e0%a4%af%e0%a5%87-%e0%a4%b8%e0%a4%82%e0%a4%95%e0%a5%87%e0%a4%a4-%e0%a4%ac%e0%a4%a4%e0%a4%be%e0%a4%a4%e0%a5%87-%e0%a4%b9%e0%a5%88%e0%a4%82-%e0%a4%95%e0%a4%bf-%e0%a4%86%e0%a4%aa%e0%a4%b8%e0%a5%87/#respond Wed, 15 Jan 2025 00:34:19 +0000 https://nationnews.in/?p=8667 ये संकेत बताते हैं कि आपसे खुश हैं भगवान, हर समस्या का निकलने वाला है हल व्यक्ति अपने जीवन में कई प्रयास करता है कि उसपर ईश्वर की दया दृष्टि (Sign of God grace) बनी रहे और उसका जीवन सुख-शांति से बीते। ऐसे में अगर आपको जीवन में ये संकेत मिल रहे हैं तो समझना चाहिए कि आपके ऊपर ईश्वर की कृपा बनी हुई है और जल्द ही आपके सारे काम सफलतापूर्वक पूरे होने वाले हैं। पूरी जानकारी ➡️ धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब व्यक्ति पर भगवान की कृपा (God blessings Sign) बरसती है, तो उसे जीवन में कुछ संकेत...

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ये संकेत बताते हैं कि आपसे खुश हैं भगवान, हर समस्या का निकलने वाला है हल

व्यक्ति अपने जीवन में कई प्रयास करता है कि उसपर ईश्वर की दया दृष्टि (Sign of God grace) बनी रहे और उसका जीवन सुख-शांति से बीते। ऐसे में अगर आपको जीवन में ये संकेत मिल रहे हैं तो समझना चाहिए कि आपके ऊपर ईश्वर की कृपा बनी हुई है और जल्द ही आपके सारे काम सफलतापूर्वक पूरे होने वाले हैं।

पूरी जानकारी ➡

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब व्यक्ति पर भगवान की कृपा (God blessings Sign) बरसती है, तो उसे जीवन में कुछ संकेत मिलने लगते हैं। यह संकेत आपको देखने में आम लग सकते हैं, लेकिन यह माना जाता है कि इन संकेतों के मिलने पर व्यक्ति का भाग्य खुल जाता है। तो चलिए जानते हैं इस बारे में।

जीवन में मिलती है तरक्की
हिंदू धर्म में ब्रह्म मुहूर्त को बहुत ही पवित्र समय के रूप में देखा जाता है। ऐसे में यदि रोजाना आपकी आंख ब्रह्म मुहूर्त में अपने आप ही खुल जाती है, तो यह भगवान की कृपा प्राप्ति का एक संकेत माना जाता है। इसका अर्थ है कि आपको जल्द ही जीवन में तरक्की मिलने वाली है।
मिलती है ईश्वर की कृपा
यदि किसी व्यक्ति को उस कार्य में सफलता मिल जाती है, जिसके लिए उसने कड़ी मेहनत की है, तो यह भी संकेत होता है भगवान आपसे प्रसन्न हैं। इसी के साथ अगर आप बिना वजह ही खुश रहने लगते हैं, तो यह भी इस बात की ओर इशारा करती है कि आपके ऊपर ईश्वर की कृपा बनी हुई है।

जब आए ऐसा सपना
अगर आपको सपने में मंत्र, ऊं या फिर राम-राम जैसे शब्द सुनाई देते हैं, तो यह भी इस बात का संकेत माना जाता है कि जल्द आपके ऊपर भगवान की कृपा बरसने वाली है। इसका अर्थ माना जाता है कि आपके जीवन में कुछ सकारात्मक बदलाव आने वाले हैं। इसी के साथ यदि सपने में आपको भगवान के दर्शन होते हैं, तो यह भी ईश्वर के आशीर्वाद की ओर ही इशारा करता है।
जब इस तरह बीते जीवन
अगर कोई व्यक्ति बढ़ती उम्र में भी स्वस्थ बना हुआ है और उसका जीवन बिना किसी परेशानी के बीत रहा है। तो इसका अर्थ भी समझा जाता है कि भगवान आपसे खुश हैं। वहीं अगर आपकी संतान संस्कारी और आज्ञाकारी है, तो यह भी ईश्वर की कृपा प्राप्ति का ही संकेत है।

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिये नेशन न्यूज मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। नेशन न्यूज मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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मकर संक्रांति पूजा विधि और स्नान शुभ मुहूर्त, जानिए दान का महत्व https://nationnews.in/%e0%a4%ae%e0%a4%95%e0%a4%b0-%e0%a4%b8%e0%a4%82%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%82%e0%a4%a4%e0%a4%bf-%e0%a4%aa%e0%a5%82%e0%a4%9c%e0%a4%be-%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%a7%e0%a4%bf-%e0%a4%94/ https://nationnews.in/%e0%a4%ae%e0%a4%95%e0%a4%b0-%e0%a4%b8%e0%a4%82%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%82%e0%a4%a4%e0%a4%bf-%e0%a4%aa%e0%a5%82%e0%a4%9c%e0%a4%be-%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%a7%e0%a4%bf-%e0%a4%94/#respond Tue, 14 Jan 2025 04:14:59 +0000 https://nationnews.in/?p=8639 मकर संक्रांति पूजा विधि और स्नान शुभ मुहूर्त, जानिए दान का महत्व मकर संक्राति पर सूर्यदेव दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं जिस कारण से इसे उत्तरायण पर्व भी कहते हैं। इसके अलावा मकर संक्रांति को खिचड़ी के नाम से जाना जाता है। मकर संक्रांति पर गंगा स्नान, सूर्यदेव की विशेष पूजा का विशेष महत्व होता है।2025:  मकर संक्रांति पर गंगा स्नान, सूर्यदेव की विशेष पूजा का  इस वर्ष पौष माह के खत्म होने के एक दिन बाद मकर संक्रांति मनाई जाएगी। 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा और फिर इसके अगले दिन मकर संक्रांति है। इस वर्ष प्रयागराज में महाकुंभ भी...

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मकर संक्रांति पूजा विधि और स्नान शुभ मुहूर्त, जानिए दान का महत्व

मकर संक्राति पर सूर्यदेव दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं जिस कारण से इसे उत्तरायण पर्व भी कहते हैं। इसके अलावा मकर संक्रांति को खिचड़ी के नाम से जाना जाता है। मकर संक्रांति पर गंगा स्नान, सूर्यदेव की विशेष पूजा का विशेष महत्व होता है।
2025:  मकर संक्रांति पर गंगा स्नान, सूर्यदेव की विशेष पूजा का  इस वर्ष पौष माह के खत्म होने के एक दिन बाद मकर संक्रांति मनाई जाएगी। 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा और फिर इसके अगले दिन मकर संक्रांति है। इस वर्ष प्रयागराज में महाकुंभ भी शुरू है। 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा के साथ महाकुंभ की शुरुआत हो जाएगी और इसके एक दिन बाद मकर संक्रांति के दिन पहला शाही स्नान है। मकर संक्रांति पर साधु-संत और गृहस्थ जीवन जीने वाले लोग गंगा, यमुना, त्रिवेणी, नर्मदा और शिप्रा जैसी अन्य पवित्र नदियों में स्नान करके पुण्य लाभ की प्राप्ति करते हैं। हिंदू धर्म में मकर संक्रांति के त्योहार का विशेष महत्व होता है। प्रत्येक साल यह त्योहार पौष महीने में मनाया जाता है। लेकिन इस बार मकर संक्रांति पौष माह के खत्म होने के बाद मनाई जा रही है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस सूर्य धनु राशि की अपनी यात्रा को विराम देकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। जिसे मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। मकर संक्राति पर सूर्यदेव दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं जिस कारण से इसे उत्तरायण पर्व भी कहते हैं। इसके अलावा मकर संक्रांति को खिचड़ी के नाम से जाना जाता है। मकर संक्रांति पर गंगा स्नान, सूर्यदेव की विशेष पूजा का विशेष महत्व होता है।

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प्रभु परमात्मा से जुड़ कर भक्ति का विस्तार संभव https://nationnews.in/%e0%a4%aa%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%ad%e0%a5%81-%e0%a4%aa%e0%a4%b0%e0%a4%ae%e0%a4%be%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%ae%e0%a4%be-%e0%a4%b8%e0%a5%87-%e0%a4%9c%e0%a5%81%e0%a4%a1%e0%a4%bc-%e0%a4%95%e0%a4%b0/ https://nationnews.in/%e0%a4%aa%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%ad%e0%a5%81-%e0%a4%aa%e0%a4%b0%e0%a4%ae%e0%a4%be%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%ae%e0%a4%be-%e0%a4%b8%e0%a5%87-%e0%a4%9c%e0%a5%81%e0%a4%a1%e0%a4%bc-%e0%a4%95%e0%a4%b0/#respond Wed, 18 Dec 2024 22:05:42 +0000 https://nationnews.in/?p=7185                                                              -: निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज प्रभु परमात्मा से जुड़ कर भक्ति का विस्तार संभव                                                              -: निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज चंडीगढ़ / संगरुर, 18 दिसम्बर: संगरुर की पुरानी कैमिकल फैक्टरी के ग्रांऊड में हुए विशाल निरंकारी समागम में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने फरमाया कि यह जो इंसानी जीवन मिला है इसका मूल उद्देश्य है परमात्मा की जानकारी प्राप्त करना। हम अक्सर सुनते है कि प्रभु परमात्मा एक है, इस एक परमात्मा की जानकारी जो पूरे सतगुरु से हासिल कर लेता है उस पर संसार की उत्थल पुत्थल का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। वह इंसान हमेशा...

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                                                             -: निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज

प्रभु परमात्मा से जुड़ कर भक्ति का विस्तार संभव

                                                             -: निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज

चंडीगढ़ / संगरुर, 18 दिसम्बर: संगरुर की पुरानी कैमिकल फैक्टरी के ग्रांऊड में हुए विशाल निरंकारी समागम में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने फरमाया कि यह जो इंसानी जीवन मिला है इसका मूल उद्देश्य है परमात्मा की जानकारी प्राप्त करना। हम अक्सर सुनते है कि प्रभु परमात्मा एक है, इस एक परमात्मा की जानकारी जो पूरे सतगुरु से हासिल कर लेता है उस पर संसार की उत्थल पुत्थल का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। वह इंसान हमेशा प्रभु के भाने में रहता है, किसी भी कमी का निरंकार परमात्मा को दोष नहीं देता। हर एक के साथ प्रेम, प्यार, सत्कार, निर्मता, सहनशीलता, मिलवर्तन, भाईचारे बनाकर रखता है। सतगुरु माता जी ने संगरुर शहर के बारे में जिक्र करते हुए कहा कि संग किसका करना है भाव संग नूर का करना है या संग गरुर का करना है। यह सोचना है कि संग परमात्मा का करना है या अहंकार में ही रहना है। इस तरह के गरुर वाला जीवन परमात्मा को पसंद नहीं है। हमने परमात्मा के साथ तो प्यार करना ही है बल्कि परमात्मा द्वारा बनाए गए इंसानों के साथ भी प्यार करना है किसी के साथ नफरत के भाव नहीं रखने। कई बार कोई हमारे से बड़ी गलती हो जाती है तो हम चाहते है कि दूसरा इंसान उस गलती को नजर अंदाज कर दे बल्कि हमें भी दूसरे की गलती को माफ करने का जजबा रखना है। कभी कोई शिकवा नहीं करना बल्कि हमेशा परमात्मा का शुक्राना ही करना है।

इससे पहले सत्कारायोग निरंकारी राजपिता रमित जी ने भी अपने प्रवचनों में कहा कि जिसको इस परमात्मा की जानकारी हो जाती है उसका जीवन मुबारक हो जाता है। उन्होंने कहा कि जिस तरह फूलों का स्वभाव है हरेक को खुशबू देना उसी तरह भगत का स्वभाव है सभी के साथ प्रेम करना तथा प्यार की महक को फैलाना। सतगुरु हमारी सीमत सी हस्ती को असीम के साथ जोड़ कर हमारी सीमत हस्ती का असीम निरंकार से जोड़ कर विस्तार कर देते है।

इस मौके संगरुर के जोनल इंचार्ज डा. बी.वी. लूथरा ने संगतों की तरफ से सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज तथा सत्कारयोगय राजपिता रमित जी का यहां पहुंचने पर स्वागत  किया तथा शुक्राना किया। इसके अतिरिक्त संगरुर ब्रांच के संयोजक डा. के.सी. गोयल ने इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए समूह स्थानीय संयोजकों, मुखीयों व सेवादल के  अधिकारियों व सदस्यों के अतिरिक्त विभिन्न धार्मिक, समाजिक, व्यापारिक तथा राजनीतिक संस्थाआें से आए हुए गणमान्यों, नगर कौंसल संगरूर, जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन आदि सभी सहयोगी सदस्यों का धन्यवाद किया।

सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज सगरुर में हुए निरंकारी समागम में प्रवचन करते हुए

संगरुर में हुए संत निरंकारी समागम का आनंद लेती हुए संगत।

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परमात्मा जानने योग्य है, इसे जानकर जब हम इसे अपने जीवन का आधार में बना लेते हैं तब सहज रूप में हमारे जीवन में मानवीय गुणों का विस्तार होता चला जाता है https://nationnews.in/%e0%a4%aa%e0%a4%b0%e0%a4%ae%e0%a4%be%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%ae%e0%a4%be-%e0%a4%9c%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a4%a8%e0%a5%87-%e0%a4%af%e0%a5%8b%e0%a4%97%e0%a5%8d%e0%a4%af-%e0%a4%b9%e0%a5%88-%e0%a4%87/ https://nationnews.in/%e0%a4%aa%e0%a4%b0%e0%a4%ae%e0%a4%be%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%ae%e0%a4%be-%e0%a4%9c%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a4%a8%e0%a5%87-%e0%a4%af%e0%a5%8b%e0%a4%97%e0%a5%8d%e0%a4%af-%e0%a4%b9%e0%a5%88-%e0%a4%87/#respond Mon, 18 Nov 2024 07:11:00 +0000 https://nationnews.in/?p=5760 ‘परमात्मा जानने योग्य है, इसे जानकर जब हम इसे अपने जीवन का आधार में बना लेते हैं तब सहज रूप में हमारे जीवन में मानवीय गुणों का विस्तार होता चला जाता है।’’ उपरोक्त उद्गार सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज द्वारा 77वें वार्षिक निरंकारी सन्त समागम के प्रथम दिवस पर मानव हित में संबोधित किए गये। इस तीन-दिवसीय संत समागम में केवल भारतवर्ष से ही नहीं अपितु विश्वभर के अनेक स्थानों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु भक्त सम्मिलित होकर समागम का भरपूर आनंद प्राप्त कर रहे हैं। सतगुरु माता जी ने विशाल सत्संग के रूप में एकत्रित सभी संतो को...

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‘परमात्मा जानने योग्य है, इसे जानकर जब हम इसे अपने जीवन का आधार में बना लेते हैं तब सहज रूप में हमारे जीवन में मानवीय गुणों का विस्तार होता चला जाता है।’’ उपरोक्त उद्गार सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज द्वारा 77वें वार्षिक निरंकारी सन्त समागम के प्रथम दिवस पर मानव हित में संबोधित किए गये। इस तीन-दिवसीय संत समागम में केवल भारतवर्ष से ही नहीं अपितु विश्वभर के अनेक स्थानों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु भक्त सम्मिलित होकर समागम का भरपूर आनंद प्राप्त कर रहे हैं।

सतगुरु माता जी ने विशाल सत्संग के रूप में एकत्रित सभी संतो को सम्बोधित करते हुए फरमाया कि वास्तविक रूप में ‘असीम की ओर-विस्तार‘, यह एक अंदर से बाहर की दिव्य यात्रा है। अक्सर मनों में तनाव तथा दिल और दिमाग के तालमेल की बात आती है। वास्तव में मन और मस्तिष्क दोनों ही साथ है परन्तु कभी मन कुछ ओर चाहता है और मस्तिष्क कुछ और सोचता है। लेकिन जब हम इस परमात्मा संग जुड़ जाते हैं तब मन में स्थिरता आ जाती है और अपनत्व का भाव उत्पन्न हो जाता है फिर मन विशाल बन जाता है।

अंत में सतगुरु माता जी ने अपने प्रवचनों में कहा कि युगों-युगों से संतों, पीरों ने यही सन्देश दिया कि हमें अपनी आध्यात्मिक यात्रा करते हुए मानवता के काम ही आना है। परमात्मा द्वारा प्रदान की हुई चीजें एवं इन्सानों ने भी जो आविष्कार किए हैं, उनका सदुपयोग करते हुए इस धरा को ओर अधिक सुंदर बनाना है।

इससे पूर्व समागम स्थल पर आगमन होते ही सतगुरु माता जी व निरंकारी राजपिता जी का सन्त निरंकारी मण्डल की कार्यकारिणी समिति के सदस्यों व अन्य अधिकारियों ने फूल मालाओं एवं पुष्प गुच्छ से स्वागत किया। तदोपरांत मंच तक उनका स्वागत एक भव्य शोभा यात्रा के रूप में किया गया। इस शोभा यात्रा में निरंकारी इंस्टिटुयट ऑफ मयूजिक एण्ड आर्टस के 300 से भी अधिक छात्रों ने नृत्य एवं संगीत के माध्यम द्वारा दिव्य युगल का अभिनन्दन किया।

फूलों से सुसज्जित खुली पालकी में दिव्य युगल विराजमान होकर श्रद्धालु भक्तों को अपना पावन आशीर्वाद प्रदान कर रहे थे और वहाँ उपस्थित सभी श्रद्धालु भक्त आनंदित होकर अपनी नम आंखों से, हाथ जोड़ते हुए उनका स्वागत भक्तिभाव से कर रहे थे। दिव्यता का यह अनुपम नज़ारा मिलवर्तन की सुंदर भावना को वास्तविक रूप में साकार कर रहा था जिसमें हर भक्त अपनी जाति, धर्म, भाषा को भुलाकर केवल प्रेमाभक्ति में सराबोर था।

निरंकारी प्रदर्शनीः-

इस वर्ष का समागम शीर्षक ’विस्तार-असीम की ओर’ है, जिस पर आधारित निरंकारी प्रदर्शनी सभी संतों के लिए मुख्य आर्कषण का केन्द्र बनी हुई है। इस दिव्य प्रदर्शनी को मूलतः तीन भागों में विभाजित किया गया है जिसके प्रथम भाग में भक्तों को मिशन के इतिहास, विचारधारा एवं सामयिक गतिविधियों के अतिरिक्त सतगुरु द्वारा देश व विदेशों में की गई दिव्य कल्याणकारी प्रचार यात्राओ की पर्याप्त जानकारी प्राप्त होगी। द्वितीय भाग में संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन द्वारा स्वास्थ्य एवं समाज कल्याण विभाग के सभी उपक्रमों व गतिविधियों को दर्शाया जा रहा है। तृतीय भाग के अंतर्गत बाल प्रदर्शनी को बड़े ही मनमोहक व प्रेरणादायक रूप में बाल संतों द्वारा प्रदर्शित किया गया है।

निरंकारी संत समागम पर भक्ति और भाईचारे की भावना से सराबोर अन्य पहलु आपके साथ आने वाले दिनों में सांझा किए जायेंगे।

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