मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के आर्थिक विकास एवं व्यवस्था परिवर्तन के प्रयास
पेंशन सुधार:
पुरानी पेंशन योजना (OPS) बहाल करके ~1.36 लाख कर्मचारियों को लाभान्वित किया।
सामाजिक सुरक्षा: अनाथ/वंचित बच्चों के लिए मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना (₹53.21 करोड़/वर्ष) शुरू की।
कृषि क्रांति:
हिम भोग आटा (मक्का-आधारित) लॉन्च किया और भारत का सबसे ऊंचा एमएसपी (गेहूं: ₹40/किग्रा, मक्का: ₹30/किग्रा) तय किया।
उपोष्णकटिबंधीय बागवानी परियोजना (₹1,292 करोड़) से 2032 तक ₹400 करोड़ वार्षिक फल उत्पादन का लक्ष्य।
हरित अर्थव्यवस्था:
2030 तक हिमाचल को ग्रीन एनर्जी स्टेट घोषित करने का लक्ष्य, सौर/जलविद्युत परियोजनाओं को प्राथमिकता[।
ईवी इंफ्रास्ट्रक्चर विस्तार और चार्जिंग स्टेशनों का निर्माण।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की हिमाचल के उद्योगों पर उपलब्धियां
उद्योग नीति में सुधार:
निवेश-अनुकूल नीतियां बनाई गईं, जिससे हिमाचल को “उद्योगों के लिए प्रमुख हब” के रूप में स्थापित किया जा रहा है।
पेप्सी बॉटलिंग प्लांट जैसे प्रोजेक्ट्स को बढ़ावा (कंदरोड़ी में ₹268 करोड़ की परियोजना शुरू)।
रोजगार सृजन:
सरकारी क्षेत्र में 9,464 युवाओं को रोजगार मिला (2024 तक)।
बेरोजगारी दर 4.4% पर स्थिर, लेकिन निजी क्षेत्र में अवसर बढ़ाने पर जोर।
बागवानी क्षेत्र में क्रांति:
हिमाचल को पहला बागवानी नीति वाला राज्य बनाने की घोषणा।
2032 तक 1.30 लाख मीट्रिक टन फल उत्पादन और ₹230 करोड़ वार्षिक व्यापार का लक्ष्य।
हरित उद्योगों पर फोकस:
ईवी और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं को प्राथमिकता।
सतत विकास के लिए उद्योग-पर्यावरण संतुलन बनाए रखने की पहल।
चुनौतियां:
▸ छोटे उद्योगों को बड़े निवेशकों के साथ प्रतिस्पर्धा में समर्थन की आवश्यकता।
▸ कौशल विकास कार्यक्रमों को तेजी से लागू करने की मांग।
सुक्खू सरकार ने उद्योग-केंद्रित नीतियों और बागवानी नवाचारों से अर्थव्यवस्था को गति दी है, लेकिन रोजगार की गुणवत्ता और कृषि-उद्योग एकीकरण पर और ध्यान देने की आवश्यकता है।
व्यवस्था परिवर्तन:
पारदर्शिता बढ़ाने के लिए विभागीय सुधार किए और राजस्व में ₹2,200 करोड़ की वृद्धि की।
महिला अधिकार: बेटियों को संपत्ति में समान अधिकार और विवाह की न्यूनतम आयु 21 वर्ष करने की पहल।
आपदा प्रबंधन:
2023 की प्राकृतिक आपदाओं (₹12,000 करोड़ नुकसान) के बाद केंद्रीय सहायता के बिना राहत कार्य संचालित किए।
मासिक जनशिकायत निवारण प्रणाली लागू की।
चुनौतियां:
▸ ऋण बोझ: 22 महीनों में ₹25,000 करोड़ का कर्ज बढ़ा।
▸ बेरोजगारी: युवाओं के लिए रोजगार योजनाओं पर धीमी प्रगति।
निष्कर्ष: सुक्खू सरकार ने किसान-हितैषी और सामाजिक न्याय पर केंद्रित नीतियों से आर्थिक बदलाव की नींव रखी है, लेकिन ऋण नियंत्रण और रोजगार सृजन पर त्वरित कार्यवाही आवश्यक है।