पंजाब यूनिवर्सिटी में ओबीसी समुदाय की उपेक्षा पर चिंता, प्रतिनिधिमंडल ने राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू से की मुलाकात
पंजाब यूनिवर्सिटी में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण लागू कराने की मांग को लेकर जारी श्रृंखलाबद्ध भूख हड़ताल आज 39वें दिन में प्रवेश कर गई है। इस सिलसिले में फोरम के प्रतिनिधिमंडल — प्रो. अशोक कुमार, डॉ. पंकज श्रीवास्तव, डॉ. सुधीर मेहरा, डॉ. कुलविंदर सिंह और श्री राहुल — ने भारत सरकार के राज्य मंत्री सरदार रवनीत सिंह बिट्टू से मुलाकात कर उन्हें ओबीसी समुदाय के साथ हो रहे लगातार अन्याय की जानकारी दी।
राज्य मंत्री बिट्टू ने प्रतिनिधिमंडल की बातों को गंभीरता से सुना।
प्रो. अशोक कुमार ने उनसे अनुरोध किया कि वे पंजाब यूनिवर्सिटी प्रशासन पर दबाव डालें कि वह ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण को तत्काल लागू करें, चाहे वह दाखिलों में हो या नियुक्तियों में।
डॉ. सुधीर मेहरा ने कहा कि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने ओबीसी छात्रों के लिए पंजाब यूनिवर्सिटी के सभी द्वार बंद कर दिए हैं। 2008 से अब तक एक लाख से अधिक ओबीसी छात्र प्रवेश से वंचित रह गए हैं, वहीं 370 से अधिक शिक्षण पदों और 1000 से अधिक गैर-शिक्षण पदों से ओबीसी उम्मीदवारों को बाहर रखा गया है।
डॉ. पंकज श्रीवास्तव ने मंत्री को बताया कि पीयू प्रशासन ने चालाकी से ओबीसी आरक्षण को नकार दिया है। उन्होंने इसे केंद्र और राज्य के दर्जे को लेकर भ्रमित किया और ना तो पंजाब की 12% आरक्षण नीति लागू की और ना ही केंद्र की 27% आरक्षण नीति।
डॉ. कुलविंदर सिंह ने बताया कि पीयू प्रशासन ओबीसी आरक्षण को लागू करने के लिए ₹1466 करोड़ की मांग कर रहा है, जो पूरी तरह अवैध और केवल आरक्षण को टालने का एक कुटिल तरीका है।
इस पर श्री रवनीत सिंह बिट्टू ने सहमति जताई कि यह मांग किसी भी आधार पर उचित नहीं है। उन्होंने आश्वासन दिया कि वह मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) के मंत्रियों से शीघ्र बात करेंगे और इस मामले का समाधान जल्द निकालने की पूरी कोशिश करेंगे।
उन्होंने यह भी कहा कि जब एससी और एसटी वर्गों के लिए केंद्र सरकार की आरक्षण नीति लागू करने के लिए पीयू प्रशासन ने एमएचआरडी से कोई मांग नहीं की, तो फिर केवल ओबीसी के लिए ऐसा करना साफ तौर पर भेदभावपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि प्रशासन यह कहकर जिम्मेदारी से बचने की कोशिश कर रहा है कि आरक्षण लागू करने का अधिकार सीनेट के पास है, लेकिन प्रतिनिधिमंडल ने स्पष्ट किया कि वर्तमान में सीनेट की सारी शक्तियाँ पीयू की कुलपति के पास हैं और यदि वह चाहें, तो तुरंत आरक्षण लागू कर सकती हैं।
बैठक के अंत में मंत्री ने पुनः आश्वासन दिया कि वह उच्च स्तर पर मंत्रियों से बात कर इस मुद्दे का समाधान करवाएंगे। साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि आंदोलन शांतिपूर्ण ढंग से चलाया जाए और किसी को भी अपने स्वास्थ्य को नुकसान न पहुंचाना पड़े।