शिकारी देवी मंदिर, हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के शिकारी देवी मंदिर का इतिहास
शिकारी देवी मंदिर, हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के कांगड़ा, कुल्लू, शिमला और लाहौल-स्पीति की पर्वत श्रृंखलाओं के बीच स्थित एक ऐतिहासिक और रहस्यमयी स्थल है। यह मंदिर 3359 मीटर (11,000 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है और मंडी जिले की सबसे ऊंची चोटी, शिकारी देवी, पर स्थित है, जिसे “मंडी का मुकुट” भी कहा जाता है।
🏛️ मंदिर का इतिहास
शिकारी देवी मंदिर की स्थापना पांडवों के अज्ञातवास के दौरान हुई थी। किंवदंती के अनुसार, पांडवों ने यहां तपस्या की थी और मां दुर्गा से आशीर्वाद प्राप्त किया था। मंदिर की छत नहीं है, और यह एक रहस्य बना हुआ है। कहा जाता है कि कई बार मंदिर पर छत लगाने की कोशिश की गई, लेकिन हर बार वह गिर गई। यह माना जाता है कि देवी को छत पसंद नहीं है, और वह खुले आकाश के नीचे रहना चाहती हैं।
मंदिर में स्थापित देवी की मूर्ति के चारों ओर बर्फ गिरती है, लेकिन मूर्ति के पास कभी बर्फ नहीं जमती। यह एक चमत्कारी घटना मानी जाती है।
🛕 मंदिर की विशेषताएँ
रहस्यमयी छत: मंदिर की छत नहीं है, और यह एक रहस्य बना हुआ है।
बर्फ का चमत्कार: मंदिर में स्थापित देवी की मूर्ति के चारों ओर बर्फ गिरती है, लेकिन मूर्ति के पास कभी बर्फ नहीं जमती।
पांडवों की तपस्या: किंवदंती के अनुसार, पांडवों ने यहां तपस्या की थी और मां दुर्गा से आशीर्वाद प्राप्त किया था।
📍 स्थान और पहुंच
शिकारी देवी मंदिर मंडी जिले के जंजहली गांव से लगभग 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां तक पहुंचने के लिए जंगल मार्ग से जीप की सुविधा उपलब्ध है। मंदिर तक पहुंचने के लिए 500 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। यह स्थान प्राकृतिक सौंदर्य और शांति का प्रतीक है।
🎉 प्रमुख मेले और उत्सव
नवरात्रि के दौरान मंदिर में विशेष पूजा और मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। यह अवसर देवी की आराधना और आशीर्वाद प्राप्ति का होता है।
शिकारी देवी मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हिमाचल प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर और प्राकृतिक सौंदर्य का भी प्रतीक है। यहां की यात्रा एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करती है, जो श्रद्धालुओं और पर्यटकों दोनों के लिए अविस्मरणीय होती है।