नए इनकम टैक्स रिजीम (New Tax Regime) में स्टैंडर्ड डिडक्शन और कुछ अन्य चुनिंदा छूटें दी जाती हैं, लेकिन यह पुरानी व्यवस्था की तुलना में कम है। यहाँ मुख्य छूटें दी गई हैं:
नए इनकम टैक्स रिजीम (New Tax Regime) में स्टैंडर्ड डिडक्शन और कुछ अन्य चुनिंदा छूटें दी जाती हैं, लेकिन यह पुरानी व्यवस्था की तुलना में कम है। यहाँ मुख्य छूटें दी गई हैं:
स्टैंडर्ड डिडक्शन
वेतनभोगी (Salaried) और पेंशनभोगी व्यक्तियों को ₹50,000 का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलता है।
NPS (National Pension System) में छूट
नियोक्ता (Employer) द्वारा दिए गए योगदान पर सेक्शन 80CCD(2) के तहत छूट मिलती है।
यह वेतन का 10% (निजी सेक्टर के लिए) और 14% (सरकारी कर्मचारियों के लिए) तक हो सकता है।
EPF और ग्रेच्युटी पर छूट
एम्प्लॉयर द्वारा प्रोविडेंट फंड (EPF) में योगदान और ग्रेच्युटी की छूट बनी रहती है।
रिटायरमेंट और लीव एनकैशमेंट पर छूट
सरकारी कर्मचारियों और कुछ अन्य मामलों में लीव एनकैशमेंट पर छूट मिलती है।
जीवन बीमा और पीपीएफ की परिपक्वता राशि पर छूट
यदि किसी लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी या PPF (Public Provident Fund) की परिपक्वता राशि टैक्स-फ्री है, तो वह नई व्यवस्था में भी टैक्स फ्री रहेगी।
किन चीजों पर छूट नहीं मिलती?
नई टैक्स व्यवस्था में निम्नलिखित लोकप्रिय कटौतियाँ नहीं मिलतीं:
❌ 80C की छूट (PPF, LIC, EPF, ELSS, होम लोन प्रिंसिपल आदि)
❌ 80D की छूट (हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम)
❌ HRA (House Rent Allowance) छूट
❌ होम लोन पर ब्याज की छूट (Section 24b)
❌ 80E (शिक्षा ऋण ब्याज की छूट)
❌ LTA (Leave Travel Allowance)
निष्कर्ष:
अगर आपके पास ज्यादा टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट्स नहीं हैं और आप कम टैक्स दरों का फायदा उठाना चाहते हैं, तो नई टैक्स व्यवस्था आपके लिए बेहतर हो सकती है। लेकिन अगर आप 80C, HRA, और अन्य कटौतियों का लाभ उठाते हैं, तो पुरानी व्यवस्था आपके लिए अधिक फायदेमंद हो सकती है।