सुरेखा यादव: एशिया की पहली महिला ट्रेन ड्राइवर ने 36 साल की सेवा के बाद ली विदाई
🚆 सुरेखा यादव: एशिया की पहली महिला ट्रेन ड्राइवर ने 36 साल की सेवा के बाद ली विदाई
मुंबई/सतारा – भारतीय रेलवे के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज नाम सुरेखा यादव ने 36 वर्षों की सेवा के बाद रिटायरमेंट ले लिया है। एशिया की पहली महिला ट्रेन ड्राइवर के रूप में सुरेखा यादव ने लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणा का काम किया है।
🌱 सतारा से भारतीय रेलवे तक का सफर
1965 में महाराष्ट्र के सतारा जिले में एक किसान परिवार में जन्मी सुरेखा यादव ने अपनी स्कूली शिक्षा सेंट पॉल कॉन्वेंट हाई स्कूल से पूरी की। इसके बाद उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया। शुरू में उनका सपना था कि वे BSc/BEd करके शिक्षिका बनें, लेकिन भारतीय रेलवे में नौकरी का अवसर उनके जीवन की दिशा बदलने वाला साबित हुआ।
🚂 भारतीय रेलवे में करियर की शुरुआत
1986 में सुरेखा ने भारतीय रेलवे में ट्रेनी असिस्टेंट ड्राइवर के रूप में जॉइन किया और कल्याण ट्रेनिंग स्कूल से प्रशिक्षण प्राप्त किया। 1989 में वे नियमित असिस्टेंट ड्राइवर बन गईं।
अपने लंबे करियर में उन्होंने गुड्स ट्रेन ड्राइवर, लोकल सबर्बन मोटर-वुमन, घाट लोको पायलट (डबल इंजन से घाट सेक्शन) और मेल/एक्सप्रेस ड्राइवर जैसे कई अहम रोल निभाए।
🌟 ऐतिहासिक उपलब्धियां
8 मार्च 2011 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर उन्होंने इतिहास रचते हुए पहली बार प्रसिद्ध डेक्कन क्वीन ट्रेन को पुणे से मुंबई तक चलाया। यह मार्ग पश्चिमी घाट के मुश्किल मोड़ों और खड़ी चढ़ाइयों के लिए जाना जाता है।
मार्च 2023 में सुरेखा यादव एक बार फिर सुर्खियों में आईं जब उन्होंने वंदे भारत एक्सप्रेस (सोलापुर से सीएसएमटी और वापस) चलाने वाली पहली महिला लोको पायलट का रिकॉर्ड बनाया।
🙏 प्रेरणा और सम्मान
सुरेखा यादव का पूरा करियर महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा है। रेलवे अधिकारियों और सहकर्मियों ने उन्हें “रेलवे की आयरन लेडी” कहा है। उनके रिटायरमेंट पर देशभर से शुभकामनाओं और सम्मान का सिलसिला जारी है।
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