Manali हदिंबा देवी मंदिर, Know मंदिर का इतिहास
हदिंबा देवी मंदिर, जिसे हिडिम्बा देवी मंदिर भी कहा जाता है, हिमाचल प्रदेश के मनाली में स्थित एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है। यह मंदिर महाभारत काल से जुड़ी एक प्रमुख देवी, हदिंबा देवी को समर्पित है, जो राक्षस कुल में जन्मी थीं और बाद में तपस्या करके देवी के रूप में पूजी जाने लगीं।
🏛️ मंदिर का इतिहास
हदिंबा देवी मंदिर का निर्माण 1553 ईस्वी में राजा बहादुर सिंह ने करवाया था। यह मंदिर एक गुफा के चारों ओर बनाया गया है, जहां देवी हदिंबा ने तपस्या की थी। मंदिर में देवी की कोई मूर्ति नहीं है, बल्कि एक विशाल पत्थर पर देवी के पदचिह्न अंकित हैं, जिन्हें पूजा जाता है।
महाभारत के अनुसार, पांडवों के वनवास के दौरान भीम ने हदिंबा के भाई हिडिम्ब को हराया था, जिसके बाद हदिंबा ने भीम से विवाह किया और उनका पुत्र घटोत्कच हुआ। भीम के वनवास समाप्त होने के बाद हदिंबा ने तपस्या की और देवी का आशीर्वाद प्राप्त किया। तब से वह स्थानीय लोगों के लिए एक प्रमुख देवी बन गईं और उनकी पूजा की जाने लगी।
🏯 वास्तुकला
हदिंबा देवी मंदिर की वास्तुकला अद्वितीय है। यह चार मंजिला पगोडा शैली में निर्मित है, जिसमें लकड़ी और पत्थर का उपयोग किया गया है। मंदिर की छत पर तीन लकड़ी की छतें हैं, जो टाइलों से ढकी हैं, और शीर्ष पर एक धातु की शंकु आकार की छतरी है। मुख्य द्वार पर देवी दुर्गा की नक्काशी है, और दीवारों पर विभिन्न देवी-देवताओं और जानवरों की नक्काशी की गई है।
🎉 प्रमुख मेले और उत्सव
धुंगरी मेला (14 मई): यह मेला हदिंबा देवी के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता है। स्थानीय महिलाएं पारंपरिक संगीत और नृत्य के साथ इस मेले में भाग लेती हैं।
सावन मेला: यह मेला राजा बहादुर सिंह की याद में आयोजित किया जाता है, जिन्होंने मंदिर का निर्माण करवाया था।
नवरात्रि: मनाली में नवरात्रि के दौरान हदिंबा देवी की पूजा विशेष रूप से की जाती है। स्थानीय लोग देवी की पालकी यात्रा निकालते हैं, जिसे ‘घोड़ा पूजा’ कहा जाता है।
📍 स्थान और पहुंच
हदिंबा देवी मंदिर मनाली के पुराने मनाली क्षेत्र में स्थित है, जो मनाली बस स्टैंड से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर है। यह मंदिर देओदार के घने जंगलों के बीच स्थित है, जो इसे एक शांत और आध्यात्मिक वातावरण प्रदान करता है।
हदिंबा देवी मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह हिमाचल प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक भी है। यहां की वास्तुकला, धार्मिक महत्व और प्राकृतिक सौंदर्य पर्यटकों और श्रद्धालुओं दोनों के लिए आकर्षण का केंद्र है।