मकर संक्रांति पूजा विधि और स्नान शुभ मुहूर्त, जानिए दान का महत्व
मकर संक्रांति पूजा विधि और स्नान शुभ मुहूर्त, जानिए दान का महत्व
मकर संक्राति पर सूर्यदेव दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं जिस कारण से इसे उत्तरायण पर्व भी कहते हैं। इसके अलावा मकर संक्रांति को खिचड़ी के नाम से जाना जाता है। मकर संक्रांति पर गंगा स्नान, सूर्यदेव की विशेष पूजा का विशेष महत्व होता है।
2025: मकर संक्रांति पर गंगा स्नान, सूर्यदेव की विशेष पूजा का इस वर्ष पौष माह के खत्म होने के एक दिन बाद मकर संक्रांति मनाई जाएगी। 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा और फिर इसके अगले दिन मकर संक्रांति है। इस वर्ष प्रयागराज में महाकुंभ भी शुरू है। 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा के साथ महाकुंभ की शुरुआत हो जाएगी और इसके एक दिन बाद मकर संक्रांति के दिन पहला शाही स्नान है। मकर संक्रांति पर साधु-संत और गृहस्थ जीवन जीने वाले लोग गंगा, यमुना, त्रिवेणी, नर्मदा और शिप्रा जैसी अन्य पवित्र नदियों में स्नान करके पुण्य लाभ की प्राप्ति करते हैं। हिंदू धर्म में मकर संक्रांति के त्योहार का विशेष महत्व होता है। प्रत्येक साल यह त्योहार पौष महीने में मनाया जाता है। लेकिन इस बार मकर संक्रांति पौष माह के खत्म होने के बाद मनाई जा रही है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस सूर्य धनु राशि की अपनी यात्रा को विराम देकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। जिसे मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। मकर संक्राति पर सूर्यदेव दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं जिस कारण से इसे उत्तरायण पर्व भी कहते हैं। इसके अलावा मकर संक्रांति को खिचड़ी के नाम से जाना जाता है। मकर संक्रांति पर गंगा स्नान, सूर्यदेव की विशेष पूजा का विशेष महत्व होता है।