हंगामे की भेंट चढ़ा शीतकालीन सत्र, जानिए पूरा लेखा-जोखा
लोकसभा में 57.87 फीसदी काम, राज्यसभा में महज 40 प्रतिशत प्रोडक्टिविटी
अडानी-मणिपुर-अंबेडकर मुद्दे पर लगातार होता रहा हंगामा
पूरे सत्र में कुल 20 बैठकें हुईं, 105 घंटे चली कार्यवाही
कुल चार बिल पेश किए गए, कोई पारित नहीं हो सका
18वीं लोकसभा का शीतकालीन सत्र शुक्रवार को समाप्त हो गया। संसद सत्र की शुरुआत ही हंगामे के साथ हुई थी और यह हंगामा सत्र के आखिर तक बदस्तूर जारी रहा। पहले अडानी-मणिपुर मामला, फिर जॉर्ज सोरोस और इसके बाद अंबेडकर मुद्दे पर हंगामे के चलते संसद में कामकाज बुरी तरह प्रभावित रहा। गतिरोध के कारण दोनों सदनों की उत्पादकता में कमी आई ा इस सत्र में राज्यसभा में केवल 40.03 फीसदी ही काम हुआ, जबकि लोकसभा का हाल भी कुछ ऐसा ही रहा है। लोकसभा में भी महज 57.87 फीसदी काम हुआ। 25 नवंबर से शुरू हुए इस सत्र में कुल 20 बैठकें हुईं। दोनों सदन (लोकसभा और राज्यसभा) में लगभग 105 घंटे कार्यवाही चली। सदन में कुल चार बिल पेश किए गए। हालांकि, कोई पारित नहीं हो सका। सबसे चर्चित एक देश-एक चुनाव के लिए पेश हुआ 129वें संविधान (संशोधन) बिल रहा। इस बिल को समीक्षा के लिए 39 सदस्यीय ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (जेपीसी) के पास भेजा गया। कमेटी में लोकसभा से 27 और राज्यसभा से 12 सांसदों को चुना गया है। कमेटी को संसद के अगले सत्र के अंतिम सप्ताह के पहले दिन लोकसभा में रिपोर्ट देनी होगी। सत्र की शुरुआत अडानी मुद्दे पर हंगामे से हुई।
फिर विपक्षी सांसदों ने मणिपुर और किसानों का मुद्दा भी उठाया। सत्र खत्म होते-होते अंबेडकर मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ। 19 दिसंबर को तो बात धक्का-मुक्की पर आ गई। दो भाजपा सांसद घायल हो गए। राहुल पर आरोप लगा। उनके खिलाफ एफआईआर हो गई।