वर्चुअल टोकन… माता-पिता का वेरिफिकेशन, तब खुलेगा सोशल मीडिया अकाउंट; क्या है मोदी सरकार का नया नियम?
मोदी सरकार के नए डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (डीपीडीपी) नियम के तहत अब नाबालिगों के लिए सोशल मीडिया पर अपना अकाउंट खोलना आसान नहीं होगा। अकाउंट खोलने से पहले माता-पिता की सहमति लगेगी। वर्चुअल टोकन के माध्यम से माता–पिता का सत्यापन किया जाएगा। अगर उम्र 18 साल से अधिक है तो सत्यापन की जरूरत नहीं होगी। जानिए क्या है यह नियम?
पूरी खबर ➡️ डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (डीपीडीपी) नियम के तहत सोशल मीडिया पर अकाउंट खोलने के दौरान वर्चुअल टोकन के जरिए बच्चे व उनके माता-पिता का सत्यापन किया जाएगा।
डेटा संरक्षण के प्रस्तावित नियम के तहत 18 साल से कम आयु का बच्चा अगर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अकाउंट खोलने जाता है तो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को उसके माता-पिता की सहमति लेनी होगी। सही में वे उसके माता-पिता है या नहीं और उनकी सहमति का सत्यापन वर्चुअल टोकन के जरिए होगा।
अस्थायी होगा वर्चुअल टोकन
इलेक्ट्रॉनिक्स व आईटी मंत्रालय के मुताबिक वर्चुअल टोकन सत्यापन के वक्त जेनरेट होगा और अस्थायी होगा। डिजिटल डाटा का उपयोग करके वर्चुअल टोकन जेनरेट किया जाएगा। हालांकि आईटी सेक्टर के जानकार इस बात को लेकर सवाल उठा रहे हैं कि मसौदे के मुताबिक सोशल मीडिया पर अकाउंट खोलने के दौरान माता-पिता की सहमति या उनके सत्यापन की जरूरत तब होगी जब बच्चा अपनी उम्र 18 साल के कम बताता है।
टोकन सिस्टम पर उठे सवाल
अकाउंट खोलने के दौरान अगर कोई बच्चा खुद को 18 साल से अधिक उम्र का बताता है तो किसी सहमति की आवश्यकता नहीं होगी। ऐसे में सवाल यह उठने लगा है कि कोई बच्चा खुद को 18 साल से कम उम्र का क्यों बताएगा?
एक्सपर्ट से समझें पूरा मामला
आईटी विशेषज्ञ सुप्रीम कोर्ट के वकील पवन दुग्गल कहते हैं कि नियम का यह मसौदा पर्याप्त नहीं है। क्योंकि कोई भी बच्चा यह जानने के बाद कि 18 साल से कम उम्र बताने पर उसे अकाउंट खोलने के लिए माता-पिता की सहमति लेनी होगी, वह खुद को 18 साल या इससे अधिक उम्र का ही बताएगा।
प्लेटफॉर्म पर लग सकता 250 करोड़ का जुर्माना
दुग्गल कहते हैं कि दूसरी तरफ 18 साल से कम उम्र के बच्चे का अकाउंट खुल जाने पर कोई माता-पिता सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की इस बात को लेकर शिकायत कर सकता है कि उसके बच्चे का अकाउंट कैसे खुल गया और इस बात के लिए उस प्लेटफार्म पर 250 करोड़ तक का जुर्माना हो सकता है। उनका कहना है कि इस नियम को और समग्र रूप में लाने की जरूरत है।
सरकार ने पूरे मामले में क्या कहा?
मंत्रालय का कहना है कि हमारे देश की डिजिटल व्यवस्था बहुत ही अच्छी है और डिजिटल डाटा का उपयोग करके यह पता लग जाएगा कि किसी बच्चे की उम्र क्या है? मंत्रालय के मुताबिक डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण नियम में कंसेंट मैनेजर की भूमिका अहम होगी।
कंसेंट मैनेजर कोई व्यक्ति या कोई संस्था भी हो सकती है जो डाटा प्रोटेक्शन बोर्ड ऑफ इंडिया के तहत पंजीकृत होगा। कंसेंट मैनेजर की जिम्मेदारी होगी कि उपभोक्ता का डाटा उचित जगह पर पहुंचे। डाटा के लीक होने पर कंसेंट मैनेजर जिम्मेदार होगा।
18 फरवरी तक मसौदे पर होगी चर्चा
वहीं, डेटा को देश से बाहर ट्रांसफर किया जा सकता है या नहीं, इस पर हरेक सेक्टर अपनी-अपनी जरूरत के हिसाब से काम करेंगे। आगामी 18 फरवरी तक डेटा संरक्षण नियम के मसौदे पर सभी अपने विचार रख सकते हैं। इसके बाद इस नियम को लागू करने पर अंतिम फैसला किया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने नियम को नागरिक केंद्रित शासन के प्रति प्रतिबद्धता दर्शाने वाला बताया
दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक्स पर अपने पोस्ट में लिखा कि डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण नियमावली 2025 यह दर्शाता है कि भारत नागरिक केंद्रित शासन के प्रति कितना अधिक प्रतिबद्ध है।
इलेक्ट्रॉनिक्स व आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव के पोस्ट पर प्रधानमंत्री ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि इस नियमावली का उद्देश्य विकास और समावेशिता को बढ़ावा देते हुए डेटा की सुरक्षा को बढ़ावा देना है। इस नियम के लागू हो जाने पर सभी सोशल मीडिया व डेटा रखने वाले प्लेटफॉर्म पारदर्शी तरीके से यह बताने के लिए बाध्य होंगे कि व्यक्तिगत डाटा का कैसे इस्तेमाल हो रहा है? कोई भी नागरिक अपने डाटा को हटवा सकता है, अपना डिजिटल नामित नियुक्त कर सकता है।