अब CPS की विधायकी को चुनौती की तैयारी, कोर्ट के फैसले में ऑफिस ऑफ प्रॉफिट की प्रोटेक्शन भी गई
कोर्ट के फैसले में ऑफिस ऑफ प्रॉफिट की प्रोटेक्शन भी गई
हाई कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस के छह विधायकों के हाथ से बेशक मुख्य संसदीय सचिव का पद चला गया हो, लेकिन उनकी विधायकी को भी चुनौती देने की तैयारी भाजपा ने कर ली है। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में ऑफिस ऑफ प्रॉफिट से इन्हें मिली प्रोटेक्शन को भी वापस ले लिया है। अब यह विपक्षी दल भाजपा के अगले कदम पर निर्भर है कि मामला गवर्नर के पास जाएगा या नहीं? संविधान में ऐसे मामले में डिसक्वालिफिकेशन के लिए फैसला लेने का अधिकार अब सिर्फ गवर्नर के पास है। राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद कैबिनेट के गठन से भी पहले आठ जनवरी, 2023 को कांग्रेस विधायकों किशोरी लाल बैजनाथ कांगड़ा, राम कुमार दून सोलन, मोहन लाल ब्राक़्टा रोहड़ू शिमला, आशीष बुटेल पालमपुर कांगड़ा, सुंदर सिंह ठाकुर कुल्लू और संजय अवस्थी अर्की सोलन की नियुक्ति बतौर सीपीएस हुई थी। यह नियुक्ति हिमाचल प्रदेश पार्लियामेंट्री सेक्रेट्रीज एक्ट 2006 के तहत हुई थी, जिसे अब हाई कोर्ट ने निरस्त कर दिया, लेकिन यह इसलिए हो पाई थी, क्योंकि हिमाचल सरकार ने 1971 में हिमाचल प्रदेश लेजिसलेटिव असेंबली मेंबर्स (रिमूवल ऑफ डिसक्वालिफिकेशन) एक्ट बनाया हुआ है।
इस एक्ट की धारा 3(डी) में उन पदों को शामिल किया गया है, जिन्हें ऑफिस ऑफ प्रॉफिट से बाहर माना जाता है। इसमें सीपीएस का पद भी शामिल था, लेकिन अब कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कर दिया है कि इन सभी छह सीपीएस को धारा 3(डी) के तहत कोई प्रोटेक्शन नहीं मिलेगी, यानी इस एक्ट के तहत ये विधायक यह क्लेम अब नहीं कर सकते कि इन्होंने ऑफिस और प्रॉफिट का लाभ नहीं लिया।