आंकड़ों में उलझ गया अंतिम तिमाही का लोन, इस साल बचे हैं सिर्फ इतने करोड़
पिछले साल मिला था 1600 करोड़ कर्ज, इस साल सिर्फ 467 करोड़ बचे
हिमाचल सरकार के लिए अगला वित्त वर्ष शुरू होने से पहले ही नई वित्तीय चुनौती सामने आ गई है। राज्य सरकार का अंतिम तिमाही का लोन आंकड़ों में उलझ गया है। इस कारण जनवरी से मार्च तक की सैलरी और पेंशन का भुगतान करने के लिए अब अन्य विकल्पों का सहारा लेना पड़ रहा है। राज्य सरकार के अफसर केंद्रीय वित्त मंत्रालय के संपर्क में हैं और कोई रास्ता निकालने की कोशिश में जुट गए हैं। पिछले साल इसी अवधि में राज्य सरकार को 1600 करोड़ की लोन लिमिट मिल गई थी, लेकिन इस बार सिर्फ 467 करोड़ ही लिमिट में शेष बचे हैं। इसका कारण यह है कि सरकार में एडवांस लोनिंग बीच में कर ली थी। राज्य के सकल घरेलू उत्पाद के तीन फीसदी तक ही खुले बाजार से लोन लिया जा सकता है। इसलिए अब जनवरी से मार्च तक की सैलरी और पेंशन के भुगतान के लिए कोई और रास्ता देखना होगा। केंद्रीय वित्त मंत्रालय और राज्य सरकार के वित्त विभाग के आंकड़ों में भी अंतर आ रहा है। मुख्य सचिव ने इस अंतर को दूर करने के लिए प्रधान सचिव वित्त को कहा है।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय में सेक्रेटरी एक्सपेंडिचर के संपर्क में मुख्य सचिव खुद हैं। दूसरी तरफ, बैजनाथ में हुए पूर्ण राजत्व दिवस के राज्य स्तरीय कार्यक्रम में भी मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने लोन की स्थिति की ओर इशारा किया है। उन्होंने कहा कि स्थिति ऐसी है कि पिछले कर्जों के मूलधन और ब्याज को चुकाने के लिए कर्ज लिया जा रहा है। पिछले दो वित्तीय वर्षों में सरकार ने 30,080 करोड़ रुपए का कर्ज लिया है, जिसमें से 18,854 करोड़ रुपए, जो कुल का लगभग 63 प्रतिशत है। पिछली सरकार द्वारा लिए गए कर्ज के मूलधन और ब्याज को चुकाने में इस्तेमाल क