कब सुलझेगा शिमला रोप-वे की फॉरेस्ट क्लीयरेंस का मामला, जानिए
कारपोरेशन ने जमा करवाए 20 करोड़
निर्माता कंपनियों की आपत्तियों का दे रहे जवाब
अंतर्राष्ट्रीय स्तर के शिमला रोप-वे की फॉरेस्ट क्लीयरेंस का मामला इसी महीने सुलझ जाएगा। सूत्रों के अनुसार इस महीने फॉरेस्ट क्लीयरेंस को लेकर बैठक होनी है जिससे पहले रोप-वे कारपोरेशन ने 20 करोड़ रूपए की धनराशि भी जमा करवा दी है। शिमला रोप-वे निर्माण के लिए कुल 23 में से 11 कंपनियां प्री बिड में क्वालिफाई हुई थीं जिनकी आपत्तियों को दूर करने का सिलसिला इन दिनों चल रहा है। इन कंपनियों ने अपनी कई आपत्तियां बताई हैं जिनको दूर करने के लिए कारपोरेशन के अधिकारी जुटे हैं। उधर शंघाई में इसी महीने एनडीबी के साथ जो बैठक होनी थी वो टल गई है। यह बैठक अब मार्च महीने में होगी। राजधानी शिमला में बनने वाला विश्व का दूसरा और भारत व एशिया का सबसे लंबा रोपवे बनाने के लिए कवायद तेज है। रोप-वे कारपोरेशन ने वन संरक्षण अधिनियम की मंजूरी के लिए सभी दस्तावेज पोर्टल पर अपलोड कर दिए हैं। इसके लिए 20 करोड़ की राशि भी वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को जमा करवा दी गई है। अब एफसीए की मंजूरी मिलना बाकी है और उम्मीद है कि इसी महीने इसपर निर्णय हो जाएगा। रोपवे कारपोरेशन ने इसके लिए वैश्विक टेंडर (ग्लोबल टेंडर) जारी किया हुआ है। बीते शनिवार को आयोजत प्री बिड मीटिंग में 11 कंपनियों को शॉर्ट लिस्ट किया गया है। अब 16 जनवरी को इसका टेंडर खुलेगा। जिसके बाद यह तय होगा कि किस कंपनी को इसका काम मिलता है।
तारादेवी से शिमला के बीच बनने वाले इस रोपवे की लंबाई 13.79 किलोमीटर है। इसके निर्माण पर 1734.40 करोड़ रुपये खर्च होंगे। रोपवे से शहर के 15 स्टेशन जुड़ेंगे। सरकार 1 मार्च 2025 से इसका काम शुरू करने की तैयारी में है।