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प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार का निर्णय कैबिनेट में ‘क्रीमी लेयर’ अनुसूचित जाति/जनजाति कोटा पर लागू नहीं होती, स्वागत योग्य — कैंथ

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार का निर्णय कैबिनेट में ‘क्रीमी लेयर’ अनुसूचित जाति/जनजाति कोटा पर लागू नहीं होती, स्वागत योग्य — कैंथ

चंडीगढ़, 10 अगस्त: भारतीय जनता पार्टी के एससी/एसटी समाज के सांसदों के साथ एक विशेष बैठक के दौरान, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि ‘क्रीमी लेयर’ एससी/एसटी कोटा पर लागू नहीं होती है और बाद में केंद्रीय मंत्री मंडल ने शुक्रवार को स्पष्ट रूप से कहा कि क्रीमी लेयर का सिद्धांत एससी/एसटी के आरक्षण पर लागू नहीं होता है। कैबिनेट ब्रीफिंग में इसकी घोषणा करते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले पर व्यापक चर्चा हुई है। सरकार बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर द्वारा दिये गये संवैधानिक प्रावधानों के प्रति प्रतिबद्ध है। संविधान में एससी/एसटी के लिए आरक्षण में क्रीमी लेयर का कोई प्रावधान नहीं है। केंद्रीय कैबिनेट की बैठक के बाद श्री वैष्णव ने कहा, ‘कैबिनेट का फैसला बहुत सोच-समझकर लिया गया है कि एससी/एसटी के लिए आरक्षण संविधान के मुताबिक दिया जाना चाहिए।

नैशनल शेड्यूल्ड कास्टस अलायंस ने इस गंभीर मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से अनुसूचित जाति समुदाय को झटका लगा है और क्रीमी लेयर का मुद्दा पैदा हो गया है ।

अनुसूचित जाति के हितों के लिए लड़ने वाले एकमात्र संगठन नैशनल शेड्यूल्ड कास्टस अलायंस के अध्यक्ष परमजीत सिंह कैंथ ने प्रेस को जारी एक बयान में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के मंत्रिमंडल का फ़ैसला जाति/जनजाति पर क्रीमी लेयर लागू न करने का निर्णय स्वागत योग्य है। सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया था कि वे ‘क्रीमी लेयर’ की वकालत करने वाले चार जजों की राय पर विचार न करें।

श्री कैंथ ने कहा कि इंदिरा साहिनी मामले का निर्णय अनुसूचित जाति पर एक खुला हमला था क्योंकि यह पिछड़ा वर्ग से संबंधित है, इसमें अनुसूचित जाति के संवैधानिक अधिकारों के प्रावधान में क्रीमी लेयर का कोई प्रावधान नहीं है ऐसा करने का प्रयास किया जा रहा था, जो सरासर गलत है. लेकिन यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि वर्तमान में क्रीमी लेयर की अवधारणा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति पर लागू नहीं होती है।”

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