हाईकोर्ट का फैसला, हिमाचल सरकार को मिला वाइल्ड फ्लावर हॉल होटल का अधिकार
होटल ग्रुप के प्रोपोजल पर जवाब के बाद हाई कोर्ट में अब पहली मार्च को सुनवाई
हिमाचल प्रदेश सरकार ने वाइल्ड फ्लावर हॉल होटल छराबड़ा के स्वामित्व को ईस्ट इंडिया होटल्स और एमआर लिमिटेड कंपनी को सौंपने से इनकार कर दिया है। सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि वह कंपनी अथवा होटल ग्रुप द्वारा रखे प्रस्ताव पर सहमत नहीं है। न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ ने सरकार की ओर से दिए इस वक्तव्य के पश्चात मामले की सुनवाई पहली मार्च को निर्धारित की। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उस दिन मामले पर सुनवाई पूरी करनी होगी। उल्लेखनीय है कि हाई कोर्ट ने इस मामले में वाइल्ड फ्लावर हॉल का कब्जा हिमाचल सरकार को सौंपने के आदेश दिए थे। कोर्ट ने इस संबंध में वित्तीय मामले निपटाने के लिए दोनों पक्षों को एक नामी चार्टेड अकाउंटेंट नियुक्त करने के आदेश भी दिए थे। सरकार के आवेदन का निपटारा करते हुए कहा था कि ओबेरॉय ग्रुप आर्बिट्रेशन अवार्ड की अनुपालना तीन माह की तय समय सीमा के भीतर करने में असफल रहा। इसलिए प्रदेश सरकार होटल का कब्जा और प्रबंधन अपने हाथों में लेने के लिए पात्र हो गई।
मामले के अनुसार वर्ष 1993 में वाइल्ड फ्लावर हॉल होटल में आग लग गई थी। इसे फिर से फाइव स्टार होटल के रूप में विकसित करने के लिए ग्लोबल टेंडर आमंत्रित किए गए थे। निविदा के तहत ईस्ट इंडिया होटल्स लिमिटेड ने भी भाग लिया और राज्य सरकार ने ईस्ट इंडिया होटल्स के साथ साझेदारी में कार्य करने का फैसला लिया था। संयुक्त उपक्रम के तहत ज्वाइंट कंपनी मशोबरा रिजॉर्ट लिमिटेड के नाम से बनाई गई। करार के अनुसार कंपनी को चार साल के भीतर पांच सितारा होटल का निर्माण करना था। ऐसा न करने पर कंपनी को दो करोड़ रुपए जुर्माना