एक फॉर्म, एक परीक्षा और ₹48,000 की स्कॉलरशिप: सरकारी स्कूल के 8वीं के छात्रों का भविष्य संवारेगी यह योजना
एक फॉर्म, एक परीक्षा और ₹48,000 की स्कॉलरशिप: सरकारी स्कूल के 8वीं के छात्रों का भविष्य संवारेगी यह योजना
चंडीगढ़ के पास एक छोटे से गाँव में रहने वाले रमेश जी दिन भर की मेहनत के बाद जब घर लौटते, तो उनकी सारी थकान अपनी 13 साल की बेटी सीमा को देख कर दूर हो जाती थी। सीमा गाँव के सरकारी स्कूल में 8वीं कक्षा की सबसे होशियार छात्रा थी। उसकी आँखों में डॉक्टर बनने का सपना था, लेकिन रमेश जी, जो एक दिहाड़ी मजदूर थे, अक्सर इस चिंता में डूब जाते कि वे अपनी बेटी के सपनों को पूरा कैसे करेंगे। 9वीं और 10वीं तो जैसे-तैसे हो जाएगी, पर 11वीं और 12वीं में किताबों और ट्यूशन का खर्च कहाँ से आएगा?
एक शाम, रमेश जी चाय की दुकान पर बैठे थे, तभी उन्होंने स्कूल के एक मास्टर जी को कुछ माता-पिता को एक जरूरी सूचना देते हुए सुना। मास्टर जी कह रहे थे, “आपके आसपास कोई बच्चा या बच्ची सरकारी स्कूल में क्लास 8 में पढ़ रहा है तो यह फॉर्म जरूर भरवाए। इसमें एक एग्जाम 16 नवंबर को लिया जाएगा और उसमें सफल होने वाले स्टूडेंट्स को क्लास 9 से 12 तक ₹12000 प्रतिवर्ष स्कॉलरशिप के रूप में दिए जायेंगे।”
यह सुनते ही रमेश जी के कानों में जैसे अमृत घुल गया। ₹12,000 प्रतिवर्ष! यानी चार साल में पूरे ₹48,000! यह रकम उनके लिए एक खजाने जैसी थी। यह सीमा की पढ़ाई के लिए एक संजीवनी बूटी थी, जो उसके सपनों को मुरझाने से बचा सकती थी।
अगले दिन रमेश जी सुबह-सुबह स्कूल पहुँचे और मास्टर जी से उस फॉर्म के बारे में पूछा। मास्टर जी ने उन्हें पूरी प्रक्रिया समझाई और फॉर्म दे दिया। घर आकर उन्होंने सीमा को यह खुशखबरी दी। सीमा की आँखों में एक नई चमक आ गई। अब उसे सिर्फ पढ़ना नहीं था, बल्कि एक लक्ष्य के लिए पढ़ना था।
वह दिन-रात मेहनत करने लगी। उसके पिता उसकी लगन देखकर अपनी सारी चिंताएं भूल गए। पूरा परिवार एक उम्मीद के साथ 16 नवंबर का इंतजार करने लगा। परीक्षा का दिन आया और सीमा पूरे आत्मविश्वास के साथ एग्जाम देने गई।
कुछ हफ्तों बाद जब रिजल्ट आया, तो रमेश जी के घर में खुशी का ठिकाना नहीं रहा। सीमा ने परीक्षा में सफलता हासिल कर ली थी। अब उसे 9वीं कक्षा से लेकर 12वीं तक हर साल ₹12,000 की स्कॉलरशिप मिलनी तय थी। यह सिर्फ पैसे नहीं थे, यह एक गारंटी थी कि अब सीमा की पढ़ाई पैसों की कमी की वजह से नहीं रुकेगी। यह उसके डॉक्टर बनने के सपने की ओर पहला और सबसे मजबूत कदम था।
यह सिर्फ सीमा की कहानी नहीं है।
आपके आसपास, आपके पड़ोस में, या आपके किसी जानने वाले के घर में सीमा जैसा कोई होनहार बच्चा हो सकता है, जो सरकारी स्कूल की 8वीं कक्षा में पढ़ रहा हो। हो सकता है कि उनके माता-पिता को इस योजना की जानकारी न हो, या वे फॉर्म भरने की प्रक्रिया को लेकर संकोच कर रहे हों।
आपकी एक छोटी सी मदद, उन तक यह जानकारी पहुँचाना, या उनका फॉर्म भरवाने में सहायता करना, किसी बच्चे के भविष्य को पूरी तरह से बदल सकता है। यह सिर्फ एक फॉर्म नहीं, बल्कि किसी के सपनों को उड़ान देने का एक अवसर है। इस जानकारी को ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुँचाएँ और किसी होनहार बच्चे का भविष्य संवारने में अपना योगदान दें।