दिल्ली में हरियाणा की तरह गेस्ट टीचर पॉलिसी बनाई जा सकती है, लेकिन इसके लिए कई कानूनी, प्रशासनिक और बजटीय पहलुओं पर विचार करना होगा।
संभावनाएँ और चुनौतियाँ:
शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE Act, 2009) – दिल्ली सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि गेस्ट टीचर की नीति राष्ट्रीय शिक्षा मानकों के अनुरूप हो।
दिल्ली और हरियाणा की प्रशासनिक संरचना में अंतर – हरियाणा में शिक्षा विभाग राज्य सरकार के पूर्ण नियंत्रण में है, जबकि दिल्ली में कुछ नीतिगत फैसलों में उपराज्यपाल (LG) की मंजूरी जरूरी होती है।
वेतन और लाभ – हरियाणा में गेस्ट टीचर्स को नियमित वेतन वृद्धि और कुछ अन्य लाभ मिलते हैं, जबकि दिल्ली में अभी भी यह मुद्दा विवादित है।
नियुक्ति प्रक्रिया – हरियाणा में गेस्ट टीचर्स की भर्ती मेरिट और अनुभव के आधार पर होती है, दिल्ली में भी ऐसी ही पारदर्शी प्रक्रिया लागू की जा सकती है।
स्थायी भर्ती बनाम गेस्ट टीचर सिस्टम – दिल्ली में गेस्ट टीचर को स्थायी करने की मांग लंबे समय से चल रही है। अगर हरियाणा की तरह नीति बनाई जाती है, तो इससे स्थायी भर्ती की संभावना प्रभावित हो सकती है।
क्या संभव है?
अगर दिल्ली सरकार चाहे, तो हरियाणा की तर्ज पर एक स्थायी और संरचित गेस्ट टीचर पॉलिसी लागू कर सकती है।
इसके लिए विधानसभा में प्रस्ताव पास करना होगा और उपराज्यपाल से मंजूरी लेनी होगी।
शिक्षकों के वेतन, सेवा शर्तें, और स्थायित्व को लेकर एक ठोस नीति बनानी होगी।
अगर सरकार इस दिशा में कदम उठाए तो दिल्ली में भी गेस्ट टीचर्स को हरियाणा जैसी सुविधाएँ मिल सकती हैं।
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Nation News Desk
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