विद्यार्थियों की अपार आईडी बनाने के लिए अभिभावकों की लिखित सहमति जरूरी….अपार आईडी के अनेक लाभ
विद्यार्थियों की अपार आईडी बनाने के लिए अभिभावकों की लिखित सहमति जरूरी….अपार आईडी के अनेक लाभ
पहली से 12वीं कक्षा में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की अपार आईडी बनाने के लिए स्कूल प्रबंधन किसी प्रकार का दबाव नहीं डाल पाएंगे। विद्यार्थी की अपार आईडी के लिए अभिभावकाें की लिखित सहमति लेना जरूरी है। यदि अभिभावक मंजूरी नहीं देते तो विद्यार्थी की अपार आईडी नहीं बनाई जाएगी। यह जवाब शिक्षा मंत्रालय ने हांसी के गांव कुतुबपुर निवासी सोनू राजौरिया की ओर से दिसंबर माह में आरटीआई से पूछे सवाल पर दिया है। बता दें कि कुछ स्कूल संचालकों की ओर से विद्यार्थियों की अपार आईडी बनाने के लिए जबरदस्ती की जा रही है, जिससे अभिभावक खफा थे।
यह है अपार आईडी
अपार आईडी के तहत सरकारी व निजी स्कूलों में पढ़ने वाले पहली से 12वीं कक्षा के 2.53 लाख विद्यार्थियों को डिजिटल लॉकर मिलने है। विद्यार्थी अपने शैक्षणिक-गैर शैक्षणिक, सांस्कृतिक व रोजमर्रा से संबंधित हर दस्तावेज का रिकॉर्ड ऑनलाइन रख सके। इसका फायदा होगा कि विद्यार्थी भविष्य में इच्छानुसार किसी सरकारी व निजी स्कूल में दाखिला लें तो डिजिटल लॉकर के माध्यम में अपलोड दस्तावेज का प्रिंट निकालकर प्रयोग में ला सकेंगे।
अभिभावकों का पक्ष
अपार आईडी के तहत विद्यार्थी के साथ-साथ अभिभावकों को स्वयं की आईडी देना जरूरी है, जोकि गलत है। क्योंकि इसमें खाते नंबर से लेकर अन्य जरूरी दस्तावेज अपलोड करना है। जिसे शेयर करने से वे असंतुष्ट हैं।
उपरोक्त सुविधा के तहत डिजिटल लॉकर मिलेंगे तो क्या हार्ड कॉपी की अहमियत खत्म हो जाएगी।
अपार आईडी के तहत ऑनलाइन दस्तावेज अपलोड होंगे, जिससे लीक होने पर खतरा बना रहेगा।
निजी दस्तावेज सरकार से शेयर नहीं करना चाहते।
अधिकारियों का तर्क
अपार आईडी बनने पर विद्यार्थी के शैक्षणिक से लेकर गैर-शैक्षणिक दस्तावेज ऑनलाइन अपलोड होंगे।
अगर किसी भी विद्यार्थी के दस्तावेज गुम हो जाते हैं तो ऑनलाइन अपलोड होने से फिर से प्रिंट निकाला जा सकता है।
10वीं व 12वीं कक्षा की मार्कशीट से लेकर डीएमसी गुम होने से विद्यार्थी को भिवानी स्थित हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के चक्कर काटने जरूरत नहीं पड़ेगी।
स्टूडेंट रजिस्ट्रेशन नंबर विद्यार्थी का पहली कक्षा से 12वीं तक एक रहता है। जैसे ही वह कॉलेज और विश्वविद्यालयों में दाखिला लेता है तो संस्थान के हिसाब से स्टूडेंट रजिस्ट्रेशन नंबर बदल जाते हैं। अपार आईडी एक बार ही बनेगी, जोकि हर कक्षा में सहायक होगी।
विद्यार्थी की अपार आईडी बनाना जरूरी नहीं है, यदि अभिभावक सहमति नहीं देता तो विद्यार्थी की अपार आईडी नहीं बनाई जा सकती। इसके लिए अभिभावक को सादे कागज पर अपनी सहमति व असहमति देना जरूरी होगा। – विजेंद्र सिंह, खंड शिक्षा अधिकारी, हिसार प्रथम ब्लॉक
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