आज KCC Bank अफसरों की पेशी, एकमुश्त निपटान (OTS) घोटाले की जांच में फंसेंगे कई बड़े चेहरे!
मुख्य बिंदु:
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक (KCCB) से 15 बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी है।
45 करोड़ के लोन पर करीब 24 करोड़ की माफी का है पूरा मामला।
बैंक के तीन वरिष्ठ अधिकारी आज शिमला में ED के समक्ष रिकॉर्ड पेश करेंगे।
जांच की आंच बैंक अधिकारियों से लेकर निदेशक मंडल तक पहुंच सकती है।
धर्मशाला: कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक (KCC Bank) के बहुचर्चित एकमुश्त निपटान (OTS) प्रकरण में आज का दिन बेहद महत्वपूर्ण है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) के बुलावे पर बैंक के तीन वरिष्ठ अधिकारी आज, 26 सितंबर को, शिमला में एजेंसी के समक्ष पेश होंगे। यह पेशी बैंक द्वारा एक होटल के 45 करोड़ रुपये के ऋण को निपटाने में दी गई भारी छूट से जुड़ी है, जिसमें बड़े घोटाले की आशंका जताई जा रही है। माना जा रहा है कि अगर ED ने सख्ती से जांच की तो इस मामले में कई बड़े अधिकारी और प्रभावशाली चेहरे फंस सकते हैं।
क्या है पूरा मामला? 45 करोड़ के लोन पर 24 करोड़ की माफी!
यह मामला बैंक के एक हाई-प्रोफाइल लोन से जुड़ा है, जिसमें बैंक ने एकमुश्त निपटान योजना (One-Time Settlement – OTS) के तहत कर्जदार को बड़ी राहत दे दी। सूत्रों के अनुसार, होटल से संबंधित कुल 45 करोड़ रुपये के ऋण पर लगभग 24 करोड़ रुपये की बड़ी राशि माफ कर दी गई। इस एक फैसले ने न केवल बैंक को वित्तीय रूप से बड़ा झटका दिया, बल्कि इस प्रक्रिया में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और नाबार्ड (NABARD) के नियमों का भी सरेआम उल्लंघन किया गया। इसी गड़बड़झाले की गंध मिलने पर अब केंद्रीय जांच एजेंसी ED ने मामले में प्रवेश किया है।
ED की 15-सूत्रीय जांच, खुलेंगी कई पुरानी परतें
प्रवर्तन निदेशालय इस मामले को बेहद गंभीरता से ले रहा है। ED ने बैंक प्रबंधन को एक नोटिस जारी कर लगभग 15 महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विस्तृत रिपोर्ट और संबंधित रिकॉर्ड पेश करने का आदेश दिया था। इन बिंदुओं में ऋण की मंजूरी प्रक्रिया, ओटीएस के लिए अपनाए गए नियम, और इतनी बड़ी राशि माफ करने के पीछे के कारणों का पूरा ब्यौरा शामिल है। बैंक प्रबंधन ने पूरी तैयारी के साथ तीन अधिकारियों की एक टीम को सभी फाइलों के साथ शिमला भेजा है, जो आज ED के सवालों का सामना करेगी। जानकारों का मानना है कि यदि जांच की परतें खुलनी शुरू हुईं, तो पिछले कई सालों के दबे हुए राज भी सामने आ सकते हैं।
जांच की आंच में कौन-कौन? अधिकारियों से लेकर निदेशक मंडल तक हड़कंप
इस हाई-प्रोफाइल जांच की आंच सिर्फ बैंक के तत्कालीन अधिकारियों तक ही सीमित नहीं रहने वाली है। सूत्रों की मानें तो इस मामले में बैंक के निदेशक मंडल के कई सदस्य भी लपेटे में आ सकते हैं, क्योंकि इतने बड़े फैसले बिना उनकी सहमति के संभव नहीं थे। ED की जांच का दायरा बढ़ने पर कई सेवानिवृत्त अधिकारी और उस समय निर्णय प्रक्रिया में शामिल रहे सदस्य भी इसके शिकंजे में आ सकते हैं।
ED द्वारा बैंक अधिकारियों द्वारा प्रस्तुत रिकॉर्ड और रिपोर्ट का गहन अध्ययन करने के बाद ही अगली कार्रवाई की दिशा तय की जाएगी। लेकिन एक बात तो तय है कि इस जांच ने केसीसी बैंक के भीतर चल रही वित्तीय अनियमितताओं की ओर एक बड़ा इशारा कर दिया है, जिसकी गाज कई लोगों पर गिरना तय माना जा रहा है।
