हिमाचल ‘भाजपा’ पर दो-दो दाग : कार्रवाई ठप, कांग्रेस ने भी घेरा, अब कैसे होगा डैमेज कंट्रोल?
शिमला/सोलन, 15 अक्टूबर:
हिमाचल प्रदेश की शांत वादियों में सियासी पारा उबाल पर है। प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा इस समय एक नहीं, बल्कि दो बड़े मामलों को लेकर सवालों के घेरे में है, और दोनों ही मामले महिला सुरक्षा और पार्टी नेताओं के आचरण से जुड़े हैं। एक तरफ सोलन में एक ताजा मामला पार्टी के लिए गले की फांस बना हुआ है, तो वहीं शिमला के एक पुराने मामले का जिन्न भी बोतल से बाहर आकर पार्टी की छवि को दागदार कर रहा है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि इन गंभीर आरोपों पर पार्टी और प्रशासन की ओर से कार्रवाई की सुस्त रफ्तार ने विपक्ष को एक बड़ा हथियार थमा दिया है, और अब ‘डैमेज कंट्रोल’ की चुनौती पहाड़ जैसी हो गई है।
पहला दाग: सोलन का ताजा मामला और कार्रवाई पर सवाल
सोलन जिले से सामने आए हालिया मामले ने भाजपा को सीधे बैकफुट पर धकेल दिया है। पार्टी के एक स्थानीय पदाधिकारी, बृजेश्वर कश्यप, पर लगे गंभीर आरोपों के बाद से ही राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज है। मामले की संवेदनशीलता के बावजूद, पार्टी की ओर से कोई ठोस अनुशासनात्मक कार्रवाई न होना और पुलिस जांच की धीमी गति जनता के बीच कई सवाल खड़े कर रही है। लोगों में यह धारणा बन रही है कि सत्ताधारी दल से जुड़े होने के कारण मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की जा रही है। इसी निष्क्रियता ने कांग्रेस को आक्रामक होने का मौका दे दिया है।
दूसरा दाग: शिमला का पुराना जिन्न, जो फिर आया बाहर
ठीक इसी समय, शिमला के पूर्व सांसद वीरेंद्र कश्यप से जुड़ा पुराना वीडियो सीडी कांड भी फिर से चर्चा में है। हालांकि यह मामला पुराना है, लेकिन जब भी प्रदेश में महिला सुरक्षा या नेताओं के आचरण पर सवाल उठता है, यह प्रकरण एक उदाहरण के तौर पर सामने आ जाता है। कांग्रेस और अन्य आलोचक इसे एक पैटर्न के रूप में पेश कर रहे हैं, यह तर्क देते हुए कि भाजपा में महिलाओं से जुड़े मामलों में अपने नेताओं को बचाने की प्रवृत्ति रही है। दो अलग-अलग मामलों का एक साथ सतह पर आना पार्टी के “चाल, चरित्र और चेहरे” पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा रहा है।
कांग्रेस का चौतरफा हमला
इस मौके को कांग्रेस हाथ से जाने नहीं देना चाहती। कांग्रेस नेताओं ने सरकार और भाजपा संगठन, दोनों पर चौतरफा हमला बोल दिया है। कांग्रेस प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, “यह भाजपा का ‘नारी सम्मान’ का खोखला नारा है। एक तरफ उनके नेता गंभीर आरोपों में घिरे हैं, और दूसरी तरफ पूरी पार्टी और सरकार उन्हें बचाने में लगी है। अगर भाजपा में थोड़ी भी नैतिकता बची है, तो অভিযুক্ত नेताओं को तुरंत पार्टी से बाहर किया जाना चाहिए और पुलिस को निष्पक्ष जांच के लिए पूरी छूट देनी चाहिए।”
भाजपा का संकट: अब कैसे होगा डैमेज कंट्रोल?
भाजपा के रणनीतिकार इस दोहरी मार से बेहद चिंतित हैं। पार्टी के सामने कई चुनौतियां हैं:
कार्रवाई करें तो मुश्किल, न करें तो मुश्किल: यदि पार्टी অভিযুক্ত नेताओं पर कड़ी कार्रवाई करती है, तो यह एक तरह से आरोपों को स्वीकार करने जैसा होगा और पार्टी के भीतर गुटबाजी को भी हवा मिल सकती है। वहीं, कार्रवाई न करने से जनता, खासकर महिला मतदाताओं के बीच गलत संदेश जा रहा है, जो आने वाले चुनावों में महंगा पड़ सकता है।
छवि का संकट: भाजपा हमेशा से एक अनुशासित और नैतिक पार्टी होने का दावा करती रही है। ये मामले सीधे तौर पर उसकी इसी छवि पर चोट कर रहे हैं।
विपक्ष को मिला मुद्दा: इन मामलों ने कांग्रेस को बैठे-बिठाए एक बड़ा मुद्दा दे दिया है, जिससे वह सरकार की कानून-व्यवस्था और महिला सुरक्षा के दावों पर सवाल उठा रही है।
फिलहाल, भाजपा के शीर्ष नेता इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं और किसी भी तरह की प्रतिक्रिया से बच रहे हैं। लेकिन राजनीति में चुप्पी अक्सर कमजोरी की निशानी मानी जाती है। यह देखना अहम होगा कि भाजपा इस सियासी चक्रव्यूह से कैसे बाहर निकलती है और अपनी दागदार होती छवि को बचाने के लिए क्या कदम उठाती है।
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Nation News Desk
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